संघ प्रमुख भागवत ने चिकित्सा और शिक्षा के व्यावसायीकरण पर चिंता जताई

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इंदौर (मध्यप्रदेश), 10 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने देश में चिकित्सा और शिक्षा के व्यावसायीकरण पर चिंता जताते हुए रविवार को कहा कि दोनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आम लोगों को ‘सहज, सुलभ, सस्ती और सहृदय’ सुविधाएं मुहैया कराई जाना वक्त की मांग है।

भागवत ने इंदौर में कैंसर के मरीजों के किफायती इलाज के लिए ‘माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र’ का उद्घाटन किया। यह केंद्र ‘गुरुजी सेवा न्यास’ नाम के परमार्थ संगठन ने शुरू किया है।

संघ प्रमुख ने इस मौके पर एक समारोह में कहा,'(अच्छी) चिकित्सा और शिक्षा की सारी योजनाएं आज समाज के हर व्यक्ति की बहुत बड़ी आवश्यकता बन गई है, लेकिन दुर्भाग्य ऐसा है कि दोनों क्षेत्रों की (अच्छी) सुविधाएं आम आदमी की पहुंच और आर्थिक सामर्थ्य के दायरे से बाहर हैं।’

उन्होंने कहा,’पहले चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्रों में सेवा की भावना से काम किए जाते थे, लेकिन अब इन्हें भी कमर्शियल (वाणिज्यिक) बना दिया गया है।’

संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि जनता को चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्रों में ‘सहज, सुलभ, सस्ती और सहृदय’ सुविधाएं मुहैया कराई जाना वक्त की मांग है।

भागवत ने देश में कैंसर के महंगे इलाज पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा,’कैंसर के इलाज की अच्छी सुविधाएं केवल आठ-दस शहरों में मौजूद हैं जहां देश भर के मरीजों को बड़ी धनराशि खर्च करके जाना पड़ता है।’

भागवत ने आम लोगों के लिए चिकित्सा और शिक्षा की अच्छी सुविधाएं पेश करने के वास्ते समाज के सक्षम और समर्थ लोगों से आगे आने का आह्वान किया।

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संघ प्रमुख ने कहा,’कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) जैसे शब्द बेहद तकनीकी और औपचारिक हैं। सेवा के संदर्भ में हमारे यहां एक शब्द है-धर्म। धर्म यानी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाना। धर्म समाज को जोड़ता है और समाज को उन्नत करता है।’

भागवत ने यह भी कहा कि पश्चिमी देश चिकित्सा के क्षेत्र में अपने एक जैसे मानक दुनिया के अन्य हिस्सों के देशों पर लागू करने की सोच रखते हैं, लेकिन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में मरीजों का उनकी अलग-अलग प्रकृति के आधार पर इलाज किया जाता है।

भाषा हर्ष नोमान

नोमान

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