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Thursday, September 4, 2025

एनसीडीसी ने जल प्रदूषण की जांच और बीमारियों की रोकथाम के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की

Newsएनसीडीसी ने जल प्रदूषण की जांच और बीमारियों की रोकथाम के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की

(पायल बनर्जी)

नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में ब्लॉक स्तर पर जल गुणवत्ता स्थल की पहचान करना, स्रोत और घरेलू दोनों स्तरों पर नियमित जांच एवं जल जनित बीमारियों के बारे में सामुदाय में जागरुकता उत्पन्न करना शामिल है।

हाल में जारी दिशानिर्देशों में जैविक एवं रासायनिक प्रदूषक के कारण जल से संबंधित बीमारियों का समय पर पता लगाने, रोकथाम, प्रबंधन और नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य और जल शक्ति मंत्रालयों के बीच संयुक्त कार्रवाई के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की रूपरेखा दी गई है।

एनसीडीसी ने कहा कि जल प्रदूषण और खराब स्वच्छता का सीधा संबंध जल जनित बीमारियों जैसे दस्त, हैजा, पेचिश, हेपेटाइटिस ए और जल जनित बीमारियों जैसे खुजली तथा त्वचा एवं आंखों की अन्य बीमारियों से है।

कभी-कभी जल स्रोतों में भूजनित प्रदूषक जैसे लोहा, फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाइट्रेट, क्लोराइड, फॉस्फेट आदि हो सकते हैं, जो व्यक्तियों और समुदायों के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करते हैं, जिससे तीव्र और दीर्घकालिक बीमारियां हो सकती हैं।

एसओपी दस्तावेज में कहा गया है कि पानी में कई मानव परजीवी भी होते हैं, तथा जहां जल की आपूर्ति अपर्याप्त है, वहां गलत तरीके से जल भंडारण के परिणामस्वरूप ऐसे रोगाणुओं का प्रजनन होता है जो डेंगू आदि जैसी बीमारियां फैलाते हैं।

एसओपी का उद्देश्य, प्रकोपों की शीघ्र प्रतिक्रिया, नियंत्रण और रोकथाम के लिए जल गुणवत्ता और जल जनित रोग निगरानी की संयुक्त निगरानी को सक्षम बनाना है, ताकि जल गुणवत्ता परीक्षण को समर्थन और मान्य करने के लिए रणनीतिक रूप से स्थित प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का लाभ उठाया जा सके।

इसका उद्देश्य जल की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में नियमित जागरूकता गतिविधियों को एकीकृत करना, सामुदायिक सहभागिता को सक्षम बनाना तथा जल की गुणवत्ता से संबंधित मौजूदा और उभरते स्वास्थ्य मुद्दों की पहचान करना और उनका समाधान करना भी है।

एसओपी में राष्ट्रीय स्तर पर जल एवं स्वास्थ्य मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के प्रतिनिधित्व के साथ एक जल एवं स्वास्थ्य समिति गठित करने का आह्वान किया गया है। ये समिति समय-समय पर नीतियों और दिशानिर्देशों के निर्माण में सहायता करने तथा मौजूदा और/या उभरते तंत्रों के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तिमाही में एक बार बैठक करेगी।

राज्य स्तर पर, इसमें राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा जल और जल-संबंधी स्वास्थ्य मुद्दों के लिए संयुक्त आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) अभियान तैयार करने और एक राज्य त्वरित प्रतिक्रिया दल बनाने की बात कही गई है। इसके अधिकारी जल स्रोतों का परीक्षण करेंगे और आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे तथा गर्मियों से पहले, बाढ़ के दौरान, अन्य मौसमी घटनाओं (सूखा, चक्रवात और समुद्र-स्तर में वृद्धि के कारण खारे पानी का प्रवेश) के दौरान और पानी की कमी और गुणवत्ता के मुद्दों के दौरान जागरूकता और तैयारी के लिए परामर्श जारी करेंगे।

जिला स्तर पर, स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में नियमित रूप से जल गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए और परिणाम स्वास्थ्य टीम के साथ साझा किए जाने चाहिए। इसके अलावा, अधिकारियों को जल जनित रोगों के संभावित स्थलों का दौरा करना चाहिए, स्रोत और घरेलू स्तर पर नियमित रूप से जल गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए, कीटाणुनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर सुधारात्मक उपाय करने चाहिए।

इसके अलावा, बाढ़, सूखा, चक्रवात और तटीय क्षेत्रों में परीक्षण की अतिरिक्त आवृत्ति और स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों से एसटीपी से उपचारित जल की निगरानी सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है।

ब्लॉक स्तर पर, एसओपी में जल गुणवत्ता स्थल की पहचान, जल से संबंधित बीमारियों के प्रकोप और उपचारात्मक कार्रवाई, जल जनित बीमारियों के बारे में सामुदाय में जागरुकता उत्पन्न करना शामिल है। साथ ही इसमें उठाये जाने वाले कदमों, जल प्रदूषण को कम करने और सुरक्षित जल के लिए सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने की रूपरेखा दी गई है।

जल जीवन मिशन, पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पेयजल गुणवत्ता निगरानी और निगरानी ढांचा स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण घर और सार्वजनिक संस्थान में स्वच्छ नल के पानी की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करना, पेयजल आपूर्ति का परीक्षण और निगरानी सुनिश्चित करना और समुदाय द्वारा नियमित जल गुणवत्ता निगरानी सुनिश्चित करना है, ताकि नल से सीधे पानी का उपभोग करने में विश्वास हो।

यह राज्य से लेकर ग्राम स्तर तक जल आपूर्ति और गुणवत्ता पर संयुक्त कार्रवाई के लिए एक स्तरीय संस्थागत ढांचा स्थापित करता है।

भाषा

अमित रंजन

रंजन

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