नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) एक अध्ययन से पता चला है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर लगातार निर्भरता से कौशल घट सकता है और यह पाया गया कि एआई का उपयोग करने पर ट्यूमर बढ़ने का पता लगाने की अनुभवी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की दक्षता 20 प्रतिशत घट गई।
पोलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और अन्य यूरोपीय देशों के शोधकर्ताओं ने 1,400 से अधिक ‘कोलोनोस्कोपी’ की जांच की। इनमें लगभग 800 बिना कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से की गई, जबकि 650 में प्रक्रिया के दौरान एआई का इस्तेमाल किया गया।
कोलोनोस्कोपी का उपयोग बड़ी आंत, जिसमें बड़ी आंत और मलाशय शामिल हैं, की जांच के लिए किया जाता है ताकि रोग का पता लगाया जा सके।
अध्ययन में, एआई का उपयोग शुरू किये जाने से तीन महीने पहले और बाद में की गई कोलोनोस्कोपी की तुलना की गई।
अध्ययन के लेखकों ने ‘द लैंसेट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित अपने अध्ययन में बताया कि एआई पर निर्भर होने के तीन महीने बाद, मानक कोलोनोस्कोपी के दौरान ‘एडेनोमा’ (एक गैर-कैंसरकारी ट्यूमर) का पता लगाने की दर एआई के संपर्क में आने से पहले के 28.4 प्रतिशत से घटकर 22.4 प्रतिशत हो गई।
पोलैंड में सिलेसिया अकादमी के लेखक मार्सिन रोमान्ज़िक ने कहा कि हालांकि, अध्ययनों से पता चला है कि एआई का उपयोग करने से चिकित्सकों को कैंसर का पता लगाने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह ऐसा पहला अध्ययन है जो किसी भी प्रकार की चिकित्सा में रोगी की जांच को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों की दक्षता पर नियमित रूप से एआई के उपयोग के नकारात्मक प्रभाव का संकेत देता है।
रोमान्ज़िक ने कहा, ‘‘हमारे नतीजे चिंताजनक हैं क्योंकि चिकित्सा में एआई का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। हमें विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में स्वास्थ्य पेशेवरों के कौशल पर एआई के प्रभाव पर और अधिक शोध की आवश्यकता है।’’
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश