नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) बिहू को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कराने के प्रयासों के बीच, एक नयी किताब असम के इस प्रमुख त्योहार के विभिन्न पहलुओं को सामने लाने और इसका पूर्ण रूप से अध्ययन करने का प्रयास करती है।
“बिहू: द एग्रीकल्चर फेस्टिवल ऑफ असम’ नामक संकलन का संपादन करने वाले संजीव कुमार बोरकाकोटी कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद (आईसीओएमओएस) का पूर्वोत्तर भारत क्षेत्र ‘बिहू’ पर कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, ताकि यह त्योहार दुनिया भर में जाना जा सके।
उन्होंने कहा, ‘हमने कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए, ताकि लोगों और सरकार को जानकारी दी जा सके और वे इस बात के लिए तैयार हों कि उचित प्रक्रिया के तहत ‘बिहू’ को भविष्य में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने का प्रयास किया जाए।’
बोरकाकोटी ने कहा कि इस सब ने हमें ‘बिहू’ पर एक किताब प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग ‘बिहू’ के बारे में जान सकें और इस तरह यह संकलन अस्तित्व में आया है।
इस संकलन में शामिल विभिन्न लेख ‘बिहू’ के विभिन्न पहलुओं को सामने लाते हैं जैसे इसे विभिन्न स्थानों पर विभिन्न लोगों द्वारा किस प्रकार मनाया जाता है।
भाषा नोमान माधव
माधव