श्रीनगर, 15 अगस्त (भाषा) मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के अधिकारों, जिसमें राज्य का दर्जा भी शामिल है, की बहाली के लिए देश के लोकतंत्र और केंद्र सरकार पर भरोसा जताने की उन्हें राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ रही है।
अब्दुल्ला ने यहां बख्शी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने यह रुख अपनाकर एक बड़ा राजनीतिक जोखिम उठाया है कि जम्मू-कश्मीर को भारत के लोकतंत्र से जो भी चाहिए वह मिलेगा और केंद्र के साथ टकराव से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘शायद, मुझे इसकी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ रही है।’
हाल ही में केंद्र द्वारा इस स्वतंत्रता दिवस के आसपास राज्य का दर्जा बहाल करने की घोषणा किए जाने की अटकलों का हवाला देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि उन्हें ज़्यादा उम्मीदें नहीं थीं, लेकिन उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि ऐसा हो सकता है।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘मुझे कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन मुझे लगातार बताया जा रहा था कि दस्तावेज तैयार हैं और अब सिर्फ घोषणा करनी है। लेकिन घोषणा नहीं हुई। उम्मीद की किरण धुंधली पड़ रही है, लेकिन हम हार नहीं मानेंगे।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता के दो केंद्र होने की समस्या के बावजूद, उनकी सरकार ने पिछले 10 महीने में काफी काम किया है।
उन्होंने कहा, ‘यह कहना गलत होगा कि हमने (पिछले) 10 महीनों में कुछ नहीं किया। हमने विधानसभा में विशेष दर्जे की बहाली के लिए प्रस्ताव पारित किया, हमने राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रस्ताव पारित किया।’
मुख्यमंत्री ने बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण, परिवहन, पर्यटन और कृषि जैसे क्षेत्रों में सुधार लगाने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया।
भाषा जोहेब पवनेश
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