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Tuesday, September 2, 2025

कोलकाता पुलिस ने विवादास्पद फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ के ट्रेलर को जारी किये जाने से ‘रोका’

Newsकोलकाता पुलिस ने विवादास्पद फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ के ट्रेलर को जारी किये जाने से 'रोका'

(तस्वीरों के साथ)

कोलकाता, 16 अगस्त (भाषा) कोलकाता पुलिस ने 1946 के कलकत्ता दंगों पर आधारित फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ का ट्रेलर शनिवार को जारी किये जाने से रोक दिया। इसके निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने यह दावा किया।

फिल्म का ट्रेलर दोपहर में महानगर के पांच सितारा एक होटल में प्रदर्शित किया जाना था।

कार्यक्रम स्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

अग्निहोत्री ने हालांकि आरोप लगाया कि यह लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है, क्योंकि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को मंजूरी दे दी थी और “कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस पर लगे प्रतिबंध पर स्थगन आदेश दे दिया था।”

उन्होंने कहा कि ट्रेलर के प्रदर्शन को सबसे पहले होटल के एक प्रतिनिधि ने अपराह्न लगभग एक बजे रोका और कहा कि केवल संवाददाता सम्मेलन के लिए अनुमति दी गई थी।

अग्निहोत्री ने कहा, ‘‘यदि होटल प्रशासन ट्रेलर का प्रदर्शन रोकना चाहता था, तो उन्होंने संवाददाता सम्मेलन की अनुमति क्यों दी? ट्रेलर दिखाए बिना किसी फिल्म की प्रेस वार्ता कैसे हो सकती है?’’

निर्देशक ने दावा किया कि जब थोड़ी देर बाद ट्रेलर फिर से दिखाया गया, तो “अचानक कोलकाता पुलिस के पांच से छह अधिकारी उस बैंक्वेट हॉल में घुस आए जहां कार्यक्रम हो रहा था और उन्होंने प्रदर्शन बीच में ही रोक दिया।”

फिल्म निर्माता को पुलिस कर्मियों और होटल के कर्मचारियों के साथ बहस करते भी देखा गया।

अग्निहोत्री ने संकेत दिया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और ‘‘शीर्ष पर बैठे किसी व्यक्ति’’ के इशारे पर ट्रेलर का प्रदर्शन रोका गया।

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उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी ने ट्रेलर को बीच में ही रोकने के लिए होटल प्रबंधन पर दबाव डाला।

अग्निहोत्री ने कहा कि ‘द बंगाल फाइल्स’, जो तथ्यों पर आधारित है और सेंसर बोर्ड की बाधा पार कर चुकी है, को तृणमूल कांग्रेस द्वारा संचालित शासन द्वारा प्रदर्शित होने से रोका जा रहा है।

यह पूछे जाने पर कि क्या उनका आशय ममता बनर्जी द्वारा संचालित प्रशासन से है, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने केवल शीर्ष स्तर पर किसी व्यक्ति के बारे में कहा है।’’

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘दुख के साथ मैं आपको सूचित कर रहा हूं: आज पश्चिम बंगाल पुलिस ने ‘शीर्ष प्राधिकारियों’ के आदेश पर ‘द बंगाल फाइल्स’ का ट्रेलर अवैध रूप से रोक दिया। पहले सिनेमाघरों में, अब एक निजी होटल में भी। हिंदू नरसंहार की सच्चाई से कौन डरता है? और क्यों? टैगोर और विवेकानंद की भूमि में लोकतंत्र मर चुका है।’’

अग्निहोत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ट्रेलर अब पूरे देश में देखा जा रहा है, लेकिन चूंकि यह बंगाल पर आधारित है, इसलिए हम इसे यहीं जारी करना चाहते थे। वे नहीं चाहते कि 1946 में बंगाली हिंदुओं पर हुए अत्याचार और गोपाल मुखर्जी जैसे लोगों के संघर्ष को सिनेमा में दिखाया जाये। अगर यह इतिहास का हिस्सा है, तो क्या आप इतिहास बदलना चाहते हैं?’’

अग्निहोत्री ने कहा, ‘‘इस कदम के पीछे केवल एक ही कारण हो सकता है, बंगाल को फिर से विभाजित करने की साजिश को नजरअंदाज करना।’’

बाद में ट्रेलर को साल्ट लेक स्थित भाजपा कार्यालय में पार्टी पदाधिकारियों और मीडिया के समक्ष प्रदर्शित किया गया।

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‘द बंगाल फाइल्स’ 1940 के दशक के दौरान अविभाजित बंगाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर आधारित है।

यह फिल्म पांच सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होनी है।

फिल्म के निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ‘‘कोई भी ताकत हमें पांच सितंबर को फिल्म रिलीज करने से नहीं रोक सकती।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं। ट्रेलर जारी करने के कार्यक्रम में कोई कानूनी अड़चन नहीं थी। आज के घटनाक्रम के बाद हम जल्द ही अदालत का रुख करेंगे।’’

कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई के नेता शंकुदेव पांडा और शिशिर बाजोरिया भी मौजूद थे।

इस बीच, इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने हैरानी जताई कि अग्निहोत्री 2000 के गुजरात दंगों पर फिल्म क्यों नहीं बना रहे हैं।

बसु ने कहा, ‘‘क्या वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)-भाजपा के लिए काम कर रहे हैं? पुलिस और होटल अधिकारियों की कार्रवाई के बारे में मैं कह सकता हूं कि यह पूरी तरह से एक प्रशासनिक फैसला है।’’

पांडा ने कहा, ‘‘किसी फिल्म के ट्रेलर को जारी करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी अकल्पनीय है। उन्होंने ट्रेलर के प्रदर्शन को जबरदस्ती रोक दिया, जिससे साबित होता है कि बंगाल में लोकतंत्र नहीं है। दर्शकों को क्या देखना है, यह उन पर छोड़ दें, और वह भी जब सेंसर बोर्ड ने इसे पहले ही मंजूरी दे दी है।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

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