नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए दिए गए नोटस खारिज किए जाने पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के पांच मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
पूर्वाह्न 11 बजे उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने राज्यसभा के पूर्व सदस्य ला गणेशन के निधन का जिक्र किया। सदन में गणेशन को श्रद्धांजलि दी गई।
इसके बाद उपसभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। हरिवंश ने बताया कि नियम 267 के तहत नियत कामकाज स्थगित कर चार विषयों पर चर्चा करने के लिए उन्हें 19 नोटिस प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने कहा कि 11 नोटिस में ‘उचित शब्दों में प्रस्ताव’ नहीं है, 10 नोटिस में तारीख का उल्लेख नहीं है, 11 नोटिस में उन नियमों का उल्लेख नहीं हैं जिन्हें सदस्य स्थगित करना चाहते हैं, और 13 नोटिस ‘एक ऐसे मामले पर चर्चा’ की मांग करते हैं जो न्यायालय में विचाराधीन है।
उपसभापति ने कहा कि चूँकि आज प्राप्त नोटिस में से कोई भी नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं है, इसलिए वह किसी भी नोटिस को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। विपक्षी सदस्यों ने नोटिस खारिज किए जाने पर कड़ा विरोध जताया और हंगामा करने लगे।
कुछ सदस्य अपने स्थानों से उठकर आगे भी आ गए।
उपसभापति ने सदस्यों से शांत रहने और शून्यकाल चलने देने की अपील की। उन्होंने भाजपा के दिनेश शर्मा से शून्यकाल के तहत अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा। शर्मा ने अपनी बात रखनी शुरू की लेकिन हंगामे के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी।
हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘कृपया शून्यकाल चलने दें। यह महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें सदस्य अपने-अपने मुद्दे उठाते हैं।’’
अपनी बात का असर न होते देख उपसभापति ने 11 बजकर पांच मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
संसद के मानसून सत्र की 21 जुलाई से शुरुआत से ही सदन में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं और उनके हंगामे की वजह से, इस सत्र के दौरान राज्यसभा में एक बार भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया है।
भाषा
मनीषा माधव
माधव