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Wednesday, September 3, 2025

सिद्धरमैया का निर्वाचन आयोग पर सत्तारूढ़ पार्टी के साथ ‘सांठगांठ’ करने, विपक्ष को ‘धमकाने’ का आरोप

Newsसिद्धरमैया का निर्वाचन आयोग पर सत्तारूढ़ पार्टी के साथ 'सांठगांठ' करने, विपक्ष को 'धमकाने' का आरोप

बेंगलुरु, 18 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) पर सत्तारूढ़ पार्टी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा किए गए ‘वोट चोरी’ के दावों का समाधान करने के बजाय, उसने विपक्ष को धमकाने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि जब तक निर्वाचन आयोग प्रत्येक नागरिक के वोट की सुरक्षा का अपना कर्तव्य ईमानदारी से पूरा नहीं करता, तब तक उसकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में रहेगी।

सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारत के निर्वाचन आयोग ने आखिरकार अपनी बात रखी- कर्तव्यनिष्ठा से नहीं, बल्कि इसलिए कि कांग्रेस, ‘इंडिया’ गठबंधन, नागरिक समाज और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया। और जब उसने ऐसा किया, तो उसका मुखौटा उतर गया। निष्पक्ष रेफरी की तरह व्यवहार करने के बजाय, ऐसा लग रहा था कि जैसे आयोग सीधे भाजपा की ‘स्क्रिप्ट’ पढ़ रहा हो। कल की प्रेस वार्ता में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दिया गया, इसने केवल संदेह को पुष्ट किया।”

दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाता सूचियों में सभी कमियों को दूर करना है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं।

उन्होंने ‘वोट चोरी’ के आरोपों को ‘निराधार’ बताते हुए खारिज कर दिया ।

मुख्यमंत्री ने आयोग की प्रेस वार्ता को ‘अहंकार से भरा हुआ’ बताया और कहा कि आयोग ने ऐसा व्यवहार किया जैसे वह नामहीन, चेहराविहीन ‘सूत्रों’ के पीछे छिपने के बजाय सीधे बोलकर कोई एहसान कर रहा हो।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘लेकिन देश ने जो देखा वह जवाबदेही नहीं, बल्कि डराने और ध्यान भटकाने की कोशिश थी। राहुल गांधी ने निर्वाचन आयोग के आंकड़ों का इस्तेमाल करके बेंगलुरु सेंट्रल में गंभीर विसंगतियां दिखाईं। उस एक उदाहरण से स्पष्ट है कि ऐसी विसंगतियां कई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी मौजूद हैं। जवाब देने के बजाय, आयोग ने विपक्ष को धमकाने की कोशिश की।’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह भरोसा तब टूटता है जब निर्वाचन आयोग सवालों से बचता है, विपक्ष को धमकाता है और सत्ता में बैठे लोगों को बचाता है। भारत की जनता इसे साफ़ देख सकती है। कोई भी प्रेस वार्ता या बड़ा भाषण सच्चाई को नहीं छिपा सकता। निर्वाचन आयोग का काम हर नागरिक के वोट की सुरक्षा करना है- जब तक वह ईमानदारी से ऐसा नहीं करता, उसकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में रहेगी।’

भाषा

नोमान सुरेश

सुरेश

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