27.9 C
Jaipur
Monday, September 1, 2025

भारतीय NGO को मिला रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड, राजस्थान का नाम क्यों हो रहा है चर्चा में?

Fast Newsभारतीय NGO को मिला रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड, राजस्थान का नाम क्यों हो रहा है चर्चा में?

Magsaysay Award: दूरदराज के गांवों में स्कूल न जाने वाली लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली भारतीय गैर-लाभकारी संस्था ‘एजुकेट गर्ल्स’ को 2025 के रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार विजेताओं में शामिल किया गया है। रविवार को इसकी घोषणा की गई। रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार फाउंडेशन (आरएमएएफ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली’, जिसे व्यापक रूप से ‘एजुकेट गर्ल्स’ के नाम से जाना जाता है, रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला भारतीय संगठन बनकर इतिहास रच दिया है।

एशिया का नोबेल माना जाने वाला रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार, एशिया के लोगों की नि:स्वार्थ सेवा में दिखाई गई महान भावना को मान्यता देता है। अन्य दो विजेताओं में मालदीव की शाहिना अली को उनके पर्यावरण संबंधी कार्यों के लिए और फिलीपीन के फ्लेवियानो एंटोनियो एल विलानुएवा को उनके योगदान के लिए चुना गया है।

बयान में कहा गया कि 2025 के रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार विजेताओं को फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैग्सायसाय की फोटो वाला एक पदक, प्रशस्ति पत्र के साथ प्रमाणपत्र और नकद पुरस्कार दिया जाएगा। मनीला के मेट्रोपोलिटन थिएटर में 67वां रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार समारोह सात नवंबर को आयोजित किया जाएगा।

आरएमएएफ के बयान में कहा गया कि ‘‘लड़कियों और युवा महिलाओं की शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक रूढ़िवादिता को दूर करने, उन्हें निरक्षरता के बंधन से मुक्त करने और उनके दक्षता विकास, साहस, ज़ज्बा बढ़ाने की प्रतिबद्धता के लिए’’ ‘एजुकेट गर्ल्स’ को यह पुरस्कार दिया जा रहा है।

Image

राजस्थान से शुरूआत

‘एजुकेट गर्ल्स’ की स्थापना 2007 में ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ की स्नातक सफीना हुसैन ने की थी, जो उस समय सैन फ्रांसिस्को में कार्यरत थीं। उन्होंने महिला निरक्षरता की चुनौती का सामना करने के लिए भारत लौटने का निर्णय लिया।बयान में कहा गया, ‘‘राजस्थान से शुरूआत करते हुए, ‘एजुकेट गर्ल्स’ ने लड़कियों की शिक्षा के मामले में सबसे जरूरतमंद समुदायों की पहचान की, स्कूल न जाने वाली लड़कियों को कक्षा में पहुंचाया और उन्हें तब तक वहां रखने के लिए काम किया जब तक कि वे उच्च शिक्षा और लाभकारी रोजगार के लिए योग्यता हासिल करने में सक्षम नहीं हो गईं।’’

See also  आसाराम की बढ़ी मुश्किलें, राजस्‍थान हाईकोर्ट ने जमानत बढ़ाने से किया इनकार; अब फिर से जाना होगा जेल

डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड

वर्ष 2015 में, इसने शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया का पहला ‘डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड’ (डीआईबी) शुरू किया, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता को परिणामों से जोड़ना था। आरएमएएफ ने कहा, ‘‘इसकी शुरुआत 50 ग्रामीण स्कूलों से हुई। यह संस्था भारत के सबसे वंचित क्षेत्रों के 30,000 से ज़्यादा गांवों तक पहुंची, जिनमें 20 लाख से ज़्यादा लड़कियां शामिल हुईं और जिनकी पढ़ाई जारी रखने की दर 90 प्रतिशत से ज़्यादा रही।’’

एक लड़की से शुरू हुआ बड़ा आंदोलन

‘एजुकेट गर्ल्स’ ने प्रगति नामक एक मुक्त विद्यालय कार्यक्रम भी शुरू किया, जो 15-29 वर्ष की लड़कियों-महिलाओं को अपनी शिक्षा पूरी करने और आजीवन अवसरों का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है। प्रारंभिक समूह में 300 शिक्षार्थी थीं, जिनकी संख्या बढ़कर 31,500 से अधिक हो गई हैं। ‘एजुकेट गर्ल्स’ की संस्थापक सफीना हुसैन ने इस पुरस्कार को ‘‘एजुकेट गर्ल्स और देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण’’ बताया और कहा, ‘‘यह मान्यता लड़कियों की शिक्षा के लिए भारत के जन-संचालित आंदोलन पर वैश्विक प्रकाश डालती है, जिसकी शुरुआत सुदूर इलाके में एक अकेली लड़की से हुई थी।’’

मदर टेरेसा से रवीश कुमार तक भारत के सम्मानित चेहरे

भारत से रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार के पिछले विजेताओं में सामाजिक कार्यकर्ता मदर टेरेसा (1962), राजनीतिज्ञ जयप्रकाश नारायण (1965), फिल्मकार सत्यजीत रे (1967), पत्रकार रवीश कुमार (2019), पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (2018), राजनीतिज्ञ अरविंद केजरीवाल (2006), आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय (2000), पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी (1994) और पत्रकार अरुण शौरी (1982) शामिल हैं। आरएमएएफ ने कहा कि मालदीव की अली को ‘‘मालदीव के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए जुनून, दूरदर्शिता और समावेशिता के साथ उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए सम्मानित किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि वैश्विक समस्याओं के प्रभावी स्थानीय समाधानों की तलाश में मालदीव की अगली पीढ़ी उनके काम को आगे बढ़ाएगी।’’

See also  राजस्थान को मिलेगी नई उड़ान, बाड़मेर रिफाइनरी से बदलेगा भविष्य; 90% काम पूरा

"Truth Essential To Democracy": Ravish Kumar Receives Magsaysay Award

गरीबों और वंचितों की गरिमा के लिए मिला सम्मान

बयान में कहा गया कि फिलीपीन के पादरी विलानुएवा को ‘‘गरीबों और वंचितों की गरिमा बनाए रखने के उनके आजीवन मिशन के लिए सम्मानित किया जा रहा है, जो हर दिन अटूट विश्वास के साथ यह साबित करते हैं कि अपने सबसे कमज़ोर भाइयों की सेवा करने से सभी का उद्धार होता है।’’ उन्होंने मादक पदार्थों का सेवन करने वालों पर सरकार की कार्रवाई का भी विरोध किया और सरकारी कार्रवाई के दौरान मारे गए लोगों के उचित अंतिम संस्कार में मदद की।

एशिया और विश्व के लिए प्रेरणा बने पुरस्कार विजेता

आरएमएएफ अध्यक्ष एडगर ओ चुआ ने एक बयान में कहा, ‘‘67 वर्षों से, रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार बदलाव लाने वाले उन नायकों को सम्मानित करता रहा है, जो एशिया और विश्व के लिए स्थायी प्रकाश स्तंभ बन गए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार विजेताओं की प्रत्येक पीढ़ी ने हमें दिखाया है कि ईमानदारी, साहस और करुणा समाज को बेहतर बना सकते हैं। इस वर्ष के पुरस्कार विजेता उस गौरवशाली परंपरा पर दृढ़ता से कायम हैं।’’

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles