Gurugram Traffic Jam Video: कल से गुड़गांव के एक वीडियो सोशल मीडिया पर ‘जनचेतना’ का बुखार बन गया है। लेकिन यह ‘जनचेतना’ फिर एक या दो दिन के भीतर ओझल हो जाएगी। चिंतन से दूर यह वीडियो कहीं किसी वीडियो मोबाइल की गैलरी में शायद दिखे। सरकार-सिस्टम को अव्यवस्था के लिए कोसने के बाद हम अपनी आम जिंदगी के कामों में लौट जाएंगे और SIP-EMI को पूरा करने के बोझ में व्यस्त हो जाएंगे। इसकी एक वजह यह भी है कि हम समाज या कम्युनिटी के तौर पर हमारी साझा समस्याओं से ज़्यादा अपनी जाति-धर्म, विश्वास, पहनावे या ख़ान- पान की आलोचनाओं में अधिक व्यस्त रहते है। मानसून आता है, शहर की सड़कें दरिया बनती और गुड़गांव की बारिश जैसी हकीकत के बाद हम मेट्रो सिटी की बदहाली भी देखते हैं।
बारिश के मौसम का इंतजार शायद ही किसी को ना हो, लेकिन सिस्टम की गलतियां इस सीजन में हमारे लिए कहर बनकर टूटी। जलमग्न होते शहरों में घंटों तक लंबा ट्रैफिक जाम और उसमें से निकलकर घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक पहुंचने की कशमकश में जुटे हम अब लोग, यह कभी नहीं सोचते कि साल-दर-साल की ये परेशानियां आखिर कब सुधरेंगी?
सरकार ने 2015 में बड़े शोर-शराबे से स्मार्ट सिटी मिशन शुरू किया था। देश 100 शहरों की तस्वीर बदलकर दुनिया में मिसाल पेश करने का यह मिशन हकीकत में कितना कारगर हुआ, इसके नतीजे सामने हैं! बीते 10 सालों के दौरान 100 शहरों पर ₹1.64 लाख करोड़ खर्च हुए। सुनने में यह काफी बड़ा मिशन लगता है, लेकिन हकीकत यह है कि इस हिसाब से हर शहर को सालाना सिर्फ़ ₹160 करोड़ ही मिले। सोचिए, जरा इन 160 करोड़ रुपए से शहर को क्या मिला, क्योंकि इतना पैसा तो किसी एक फ्लाईओवर पर लग जाता है, फिर पूरे शहर का कायापलट कैसे होगा? नतीजा यही कि स्मार्ट लाइटें और कंट्रोल रूम तो बन गए, लेकिन नालियां साफ़ नहीं हुईं, सीवर नहीं सुधरे और सड़कें बारिश में झील बन जाती हैं।
चीन का स्पॉन्ज सिटी मॉडल दुनिया में मिसाल
अब ज़रा चीन को देखिए, वहां सरकार हर साल शहरी ढांचे पर सैकड़ों अरब डॉलर झोंक देती है। बारिश से निपटने के लिए उन्होंने “स्पॉन्ज सिटी” योजना बनाई है। 2030 तक $230 अरब डॉलर खर्च कर शहर ऐसे बनाए जा रहे हैं कि बारिश का 70% पानी वहीं सोख लिया जाए। नए शहर, नई मेट्रो, इको-फ्रेंडली कॉलोनियां सबकुछ तेज़ी से खड़ा हो रहा है। वहां बारिश आती है, लेकिन शहर की रफ्तार धीमी नहीं होती नहीं और यहां थोड़ी सी बरसात में गुरुग्राम, बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई…सब ठप हो जाते हैं।
हर मोहल्ले और झुग्गी पर हो बराबर खर्च
सच यह है कि स्मार्ट सिटी मिशन असली इलाज नहीं था, बस दिखावे था। शहरों को ठीक करना है तो छोटा-मोटा बजट नहीं, एक बड़ा प्लान चाहिए कम से कम ₹10–15 लाख करोड़ का और पैसा सिर्फ़ पॉश कॉलोनियों पर नहीं, हर मोहल्ले, हर झुग्गी पर लगना चाहिए। शहरों को अपने टैक्स से कमाई करने की ताक़त मिले, ताकि वो खुद अपने पैरों पर खड़े हों।
2 hours of rain = 20 KMs of Gurgaon Jam!
As CM Nayab Saini only flies in “State Helicopter” and doesn’t travel on “road”, this is a “helicopter shot” of Highway in Gurgaon just now.
So much for the rain preparedness and crores and crores of public money spent on drainage,… pic.twitter.com/HCNPYZkG2c
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 1, 2025
गुरुग्राम की तस्वीरें हैं चेतावनी, मज़ाक नहीं
गुरुग्राम की कल की तस्वीरें हमें सिर्फ़ हंसी-मज़ाक या गुस्से के लिए नहीं देखनी चाहिए। यह चेतावनी हैं एक समुदाय के तौर पर हमें अपनी रोज़मर्रा की तकलीफ़ों पर बात संवाद करने की जहाँ हमारी 80 फ़ीसदी समस्याएं साझी हैं। अपने एकाकी जीवन को उन्नत करने और केवल ख़ुद की ज़िंदगी को नेटफ्लिक्स या यूरोप ट्रिप तक सीमित कर हम कुछ देर के लिए ही ख़ुश बना सकते हैं, सुबह-शाम को अपनी लाखों की गाड़ी को इन्हीं सड़कों और ट्रैफिक के बीच ज़िंदगी को जीना है, अगर अभी नहीं जागे तो आने वाले सालों में हर बरसात, हर तूफ़ान और हर गर्मी हमें यही याद दिलाती रहेगी हमारे शहर स्मार्ट नहीं, बल्कि बीमार हैं।
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