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Wednesday, September 3, 2025

Rajasthan Assembly: राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक 2025; हरीश चौधरी ने पूछा कि ऑनलाइन कोचिंग का क्या प्रावधान होगा

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Rajasthan Assembly Monsoon Session: जयपुर। राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 पर जोरदार बहस हुई। यह विधेयक उपमुख्यमंत्री और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने सदन में पेश किया।

विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य विधायकों ने विधेयक के प्रावधानों पर सवाल उठाए और इसे अपर्याप्त और अप्रभावी करार दिया। उन्होंने इसे और मजबूत बनाने के लिए प्रवर समिति को सौंपने की मांग भी की। सत्तापक्ष ने कहा कि यह विधेयक विद्यार्थियों की सुरक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए जरूरी कदम है और इसके लागू होने से कोचिंग संस्थानों में पारदर्शिता बढ़ेगी। विधेयक पर हुई बहस ने मानसून सत्र का माहौल गर्म कर दिया और सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी नोक-झोंक देखने को मिली।

आठ- दस साल में विद्यार्थियों की आत्महत्याओं में वृद्धि

 कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। धारीवाल ने कहा कि पिछले आठ-दस वर्षों में कोचिंग सेंटरों में विद्यार्थियों की आत्महत्याओं की संख्या लगातार बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए यह विधेयक लाया, लेकिन इसमें विद्यार्थियों के मानसिक दबाव को कम करने के उपायों की कमी है।

धारीवाल ने आरोप लगाया कि विधेयक में केवल जुर्माने की राशि बढ़ाने और कोचिंग सेंटरों में बच्चों की संख्या नियंत्रित करने पर ध्यान दिया गया है, जबकि मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया गया। धारीवाल ने यह भी कहा कि यदि सरकार ने विपक्ष के पहले दिए गए सुझावों को स्वीकार किया होता तो यह विधेयक और अधिक सार्थक और प्रभावी हो सकता था।

हॉस्टलों के लिए अलग नियमों की जरूरत

पूर्व मंत्री और विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 की कमियों पर प्रकाश डाला। डॉ. गर्ग ने कहा कि विधेयक में हॉस्टलों से संबंधित स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है। उनका सुझाव था कि समाज और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित कम शुल्क वाले हॉस्टलों और निजी हॉस्टलों के लिए अलग-अलग नियम होने चाहिए।

उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि एनओसी (NOC) के नाम पर होने वाली अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए स्पष्ट प्रावधान क्यों नहीं है। डॉ. गर्ग ने कहा कि विधेयक का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की आत्महत्याओं को रोकना था, लेकिन इसमें काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रावधानों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि विधेयक को प्रवर समिति को सौंपकर आवश्यक सुधार किए जाएं, ताकि यह अधिक प्रभावी और सार्थक बन सके।

भाटी ने विधेयक पर सवाल उठाए

निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 को लेकर सवाल उठाए। भाटी ने कहा कि विधेयक में फीस नियंत्रण के प्रावधान नहीं होने के कारण कोचिंग सेंटरों में फीस के नाम पर लूट जारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक में जुर्माने की राशि कम करके कोचिंग संस्थानों को अप्रत्यक्ष लाभ दिया जा रहा है। निर्दलीय विधायक ने यह भी कहा कि विधेयक अपने मूल उद्देश्य में विफल हो रहा है और विद्यार्थियों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए इसमें पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं।

ऑनलाइन क्लासेस को शामिल करने की मांग

कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 पर तीखा हमला किया। चौधरी ने कहा कि साढ़े 12 हजार करोड़ से 25 हजार करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री की चिंता तो कई लोग कर रहे हैं, लेकिन विद्यार्थियों की चिंता कौन करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कोचिंग सेंटरों में बच्चों को यह स्पष्ट नहीं बताया जाता कि कोचिंग से सरकारी नौकरी की गारंटी नहीं मिलती।

इसके साथ ही उन्होंने ऑनलाइन क्लासेस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए विधेयक में ऑनलाइन कोचिंग को शामिल करने की मांग की। हरीश चौधरी ने कहा कि वर्तमान विधेयक से राजस्थान को न्याय नहीं मिलेगा और यह केवल बड़े कोचिंग संस्थानों के हितों की रक्षा करेगा। उ

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