राजस्थान के स्कूलों में इस सत्र से सिलेबस बदल गया है। नया सिलेबस नई शिक्षा नीति (NEP-2020), एनसीएफ-2023 और एनसीईआरटी के बदलावों के अनुरूप तैयार किया गया है। राज्य सरकार ने पांचवीं तक के सिलेबस में बदलाव को मंजूरी दे दी है, और इसे 2025-26 सत्र से लागू किया जाएगा। छठी-नौवीं व 11वीं कक्षा में बदलाव 2026-27 और 10वीं-12वीं में 2027-28 से लागू होगा। नए पाठ्यक्रम में कक्षा-5 की के8तब भारत के महान व्यक्तित्वों के रूप में छत्रपति शिवाजी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभभाई पटेल को प्रमुखता दी गई है।
नेहरू, गांधी क्यों नहीं?
कक्षा तीसरी से पांचवीं तक ना तो पंडित जवाहरलाल नेहरू का जिक्र है और ना ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का। नए सिलेबस के सन्दर्भ में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने यह स्पष्ट किया था कि पूर्व सरकार के समय जो किताबें (जैसे ‘आजादी के बाद स्वर्णिम भारत’) शामिल थीं, उनमें कांग्रेस नेताओं और गांधी-नेहरू परिवार का महिमामंडन था, लेकिन परीक्षा के लिहाज से वे किताबें जरूरी नहीं थीं।
प्रतीकों को भी उचित स्थान मिलना चाहिए
सरकार की ओर से खुद इस बात को रखा गया था कि सबसे ज्यादा योगदान देने वाले अन्य नेताओं और राष्ट्रीय प्रतीकों को भी उचित स्थान मिलना चाहिए, न कि सिर्फ कुछ चेहरों को। इसी कारण अब नई पुस्तकों और सिलेबस में विविध और व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है, तो क्या भारत के स्वर्णिम इतिहास के प्रतीक महात्मा गांधी और नेहरू को स्कूल में नहीं पढ़ाया जाना चाहिए?
जानकार मानते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा के स्तर पर भारत के राष्ट्र आंदोलन के प्रतीक चिन्हों और पूर्व प्रधानमंत्रियों की जानकारी भी बच्चों को दी जानी चाहिए। स्कूल शिक्षा के स्तर पर आधारभूत जानकारी से ही उसका व्यावहारिक ज्ञान मजबूत होगा।
शिक्षा मंत्री ने किए थे ये दावे
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा है, “कक्षा 5 तक आते-आते छात्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और सामाजिक सुधारकों के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। हर जिले के हिसाब से स्थानीय भाषाओं के शब्दकोश तैयार हुए हैं, नई किताबों में इन्हें जगह मिली है।”