राजस्थान में 21 साल बाद सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े कर्मचारियों की सेवा में वापसी का रास्ता खुल गया है। 2004 में लोक जुंबिश योजना के तहत काम कर रहे 748 कर्मचारियों को हटाया गया था, जिनकी नियुक्ति प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से हुई थी। अब राजस्थान हाईकोर्ट ने उदयपुर जिले के सराड़ा निवासी कर्मचारी के मामले में सेवा में पुनः शामिल करने के आदेश दिए हैं। इसी फैसले के आधार पर करीब 750 कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति की उम्मीद जगी है।
यह कानूनी लड़ाई 2004 से चल रही थी। पहले हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 2007 में और फिर खंडपीठ ने 2018 में इन कर्मचारियों के पक्ष में आदेश दिए थे। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, जहां भी कर्मचारियों को राहत मिली। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब अन्य कर्मचारियों को सर्व शिक्षा अभियान में समायोजित कर लिया गया, तो प्लेसमेंट एजेंसी से नियुक्त समान शैक्षणिक कार्य करने वालों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
हटाए गए कर्मचारियों को राहत
सर्व शिक्षा अभियान में समायोजन हटाए गए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता कपिल खंडेलवाल ने बताया कि हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि आवश्यक शैक्षणिक कार्यों के चलते इन कर्मचारियों को भी समान अवसर मिलना चाहिए। अब ऐसे कर्मचारियों को नियमित वेतनमान के साथ नियुक्ति दी जाएगी। कोर्ट के आदेश के बाद लोक जुंबिश से हटाए गए कर्मचारियों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो गया है।
लंबे संघर्ष के बाद मिली राहत
इस फैसले के बाद सफर तय कर रहे कई कर्मचारियों की आयु सीमित रह गई है-जैसे उदयपुर के कर्मचारी जिनकी अब नौकरी की आयु सिर्फ 5 साल बची है, लेकिन इतने लंबे इंतज़ार व संघर्ष के बाद यह फैसला उनके लिए राहत लेकर आया है। 748 कर्मचारियों के लिए यह नई शुरुआत सरकारी रोजगार और स्थिर भविष्य की राह खोलती है। यह आदेश सरकारी भर्तियों और आउटसोर्सिंग विवादों में समान कार्य, समान अवसर की मिसाल बनकर सामने आया है।
1. यह मामला कब से चल रहा था?
यह कानूनी लड़ाई 2004 से चल रही थी।
2. कितने कर्मचारियों को इससे फायदा मिलेगा?
करीब 748 कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति का फायदा मिलेगा।
कोर्ट का आदेश क्या कहता है?
हाईकोर्ट ने कहा कि समान कार्य करने वाले कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता और उन्हें भी समान अवसर व नियमित वेतनमान मिलना चाहिए।
यह कर्मचारी पहले किस योजना से जुड़े थे?
ये कर्मचारी लोक जुंबिश योजना से जुड़े थे और बाद में प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त किए गए थे।
फैसले का असर क्या होगा?
इस आदेश से 748 कर्मचारियों के नियमितीकरण का रास्ता खुल गया है और यह मामला समान कार्य, समान अवसर की मिसाल बनेगा।