जोजरी नदी के प्रदूषण ने पश्चिम राजस्थान में जो दर्दनाक तस्वीर पेश की, उसकी चर्चा पूरे देश में हुई। लेकिन यह मामला सिर्फ जोजरी तक सीमित नहीं है। जोजरी से लूणी तक के ज़हरीले बहाव, बनास और चम्बल की बढ़ती बीओडी मात्रा और जयपुर की द्रव्यवती का नाले में तब्दील होना, राजस्थान की लाइफलाइन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
ये नदियां फैक्ट्री के दूषित पानी, शहरी सीवेज और खनन कचरे के बोझ के तले अपने अस्तित्व को खोती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े, बनास को प्रायोरिटी-III (बीओडी लगभग 13 mg/L) और चम्बल को कोटा के पास प्रायोरिटी-V में रखते हैं। वहीं द्रव्यवती की मिट्टी में क्रोमियम जैसे भारी धातु और जोजरी की ज़हरीली धारा से लगभग 1.6 करोड़ लोग प्रभावित हैं। अब यह मामला सिर्फ पर्यावरण तक नहीं रह गया, बल्कि जनजीवन और स्वास्थ्य पर संकट गहरा गया है।
प्रशासन के नोटिस के बाद लोग बेघर होने की कगार पर
जोधपुर के कुछ गांवों में बाढ़ के चलते घरों में केमिकल भर गया है। इसके बाद प्रशासन ने नोटिस जारी कर लोगों को बाहर निकलने के लिए कहा है। जोधपुर और बाड़मेर के कई ग्राम पंचायतों ने हाल ही में एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि जोजरी नदी से बाढ़ का पानी घरों में घुसने से लोग परेशान हैं, इसलिए वे कुछ समय के लिए वहां से निकल जाएं।
जोधपुर सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने हाल ही में कहा था कि जोजरी नदी में आ रहे दूषित पानी से जोधपुर और बालोतरा ज़िले के क़रीब 16 लाख लोगों के प्रभावित हो रहे हैं। अब ज़्यादा समस्या इसलिए आ रही है, क्योंकि जोधपुर के सीईटीपी (इंडस्ट्रीज़ के पानी का ट्रीटमेंट प्लांट) की कैपेसिटी कम है। जोधपुर में अभी दो सौ एमएलडी क्षमता के सीईटीपी प्लांट की आवश्यकता है।
करोड़ों रुपए खर्च हुए और नाले में तब्दील हुई द्रव्यवती नदी
वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राज्य की पिछली भाजपा सरकार ने अमानीशाह नाले को द्रव्यवती नदी में बदलने की अवधारणा तैयार की थी। इस परियोजना के लिए लगभग 1,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, फिर भी द्रव्यवती एक दूषित जलमार्ग बनी हुई है, जो बीमारियों और प्रदूषण को पनाह दे रही है। इसकी हालत इस हद तक बिगड़ गई है कि दिल्ली की यमुना नदी जैसा जहरीला झाग इसके पानी में दिखाई देने लगा है।
25 साल से राजनीति का केंद्र है आयड़
ऐसी ही कुछ कहानी उदयपुर की आयड़ नदी की भी है। इस 30 किलोमीटर लंबी नदी को वेनिस की तर्ज पर सुंदर बनाने का सपना शहरवासियों के सामने परोसा गया। यह नदी शहर में 5 किलोमीटर क्षेत्र से गुजरती है। दशकों तक राजनीति करने वाले पूर्व विधायक और वर्तमान में राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने बार-बार वेनिस नदी की कल्पना के भाषण भी दिए, लेकिन यह नदी पिछले कुछ दशक से राजनीति का बड़ा केंद्र रही।
चाहे नगर निगम हो या विधानसभा, बीजेपी का गढ़ रहे मेवाड़ में आयड़ की हालत नहीं सुधरी। सीवेज को आयड़ नदी में बहाया जा रहा है, जो उदयसागर झील में बह रहा है। इसके चलते आसपास के क्षेत्र में यह दुर्गंध का कारण भी बनी हुई है।
मरूगंगा का दर्द भी किसी को नहीं दिख रहा!
मरूगंगा के नाम से विख्यात जिले की एकमात्र लूणी नदी भी दिनों दिन प्रदूषित होती जा रही है। औद्योगिक कारखानों से निस्तारित प्रदूषित पानी लूनी नदी में लगातार घुल रहा है। हर साल 2 से 3 बार इस प्रदूषित पानी को लूणी नदी में छोड़ा जाता है। सर्दी खत्म होने के बाद से नदी में प्रदूषित पानी की आवक 1-2 महीने से शुरु हो गई है।
भीलवाड़ा की कोठारी नदी का मामला भी कोर्ट तक पहुंचा और अदालत ने 18 नवंबर, 2024 को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा। कोर्ट के आदेश में नदी किनारे कचरा, केमिकल और बेकार दवाइयों को डंप करने का भी उल्लेख किया गया है।
पाली ने पेश किया शानदार उदाहरण
पाली की बांडी नदी देश की सबसे प्रदूषित 150 नदियों में शामिल थी और साथ ही राजस्थान में दूसरी सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी। सर्वे में बांडी नदी में भराव क्षेत्र में बीओडी यानी बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड सामान्य स्तर से पांच गुना अधिक पाई गई थी। इसका सबसे बड़ा कारण शहर की औद्योगिक इकाइयों से छोड़े जाना वाला रंगीन घातक केमिकलयुक्त पानी बताया गया था, लेकिन आज हालात सुधर गए है।