राजस्थान की अर्थव्यवस्था को 350 बिलियन डॉलर के मुकाम तक पहुंचाना दूर की कौड़ी है. इस लक्ष्य को पाने के लिए समाज की सामूहिक इच्छाशक्ति, शासन की दूरदृष्टि और उद्योग-व्यापार की आक्रामक भागीदारी जरूरी है. आज प्रदेश की जीडीपी लगभग 18 से 19 लाख करोड़ रुपए के आसपास है यानी करीब 220 से 230 अरब डॉलर के बीच. अब अगर राजस्थान को इसे 350 अरब डॉलर तक पहुंचाना है तो अगले 5 से 6 वर्षों में लगातार डबल डिजिट में विकास दर रखनी होगी, जो कि उतना आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं.
राजस्थान की सबसे बड़ी ताक़त उसका भूगोल है. रेगिस्तान की बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा का बड़ा खजाना मौजूद है. अगर दिशा सही हो तो दुनिया के सबसे सस्ते और बड़े सौर ऊर्जा पार्क राजस्थान में खड़े हो सकते हैं. अगले कुछ वर्षों में ग्रीन एनर्जी का वैश्विक बाज़ार रफ्तार से बढ़ने वाला है. ऐसे में थार की ऊर्जा को राजस्थान सही तरीके से उपयोग में ले पाया तो प्रदेश को ऊर्जा निर्यातक राज्य बनने से कोई रोक नहीं सकता. ऊर्जा उत्पादन से लेकर मॉड्यूल, बैटरी और इलेक्ट्रोलाइज़र तक की विनिर्माण श्रृंखला को खड़ा कर दिया जाए तो यह अकेला क्षेत्र 50 से 70 अरब डॉलर की अतिरिक्त अर्थव्यवस्था पैदा कर सकता है.
राजस्थान के पास अवसरों का सुनहरा दौर है. यदि राज्य अपनी नीतियों को तेज़ी से लागू करे, वैश्विक पूंजी को आकर्षित करें और जनता को भागीदार बनाए तो 5 साल बाद राजस्थान की पहचान सिर्फ़ मरुस्थल, ऊंट और महलों की नहीं होगी, बल्कि भारत की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में होगी. 350 अरब डॉलर का आंकड़ा केवल किताबों में नहीं, बल्कि हर नागरिक के जीवन स्तर में बदलाव के रूप में दिखेगा.
लेकिन ये कैसे संभव होगा…?
खनन से लेकर खेती तक उठाने होंगे आविष्कारक कदम
कृषि अभी भी लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी है. लेकिन केवल गेहूं-बाजरा काटकर मंडी तक सप्लाई कर लेने महज से समृद्धि नहीं आती. यहां ज़रूरत है वैल्यू एडिशन की, जिसमें फूड प्रोसेसिंग पार्क, कोल्ड चेन, अनुबंध खेती और निर्यातक कंपनियों की भागीदारी शामिल हो. ताकि किसानों की आय दोगुनी से ज़्यादा हो सके. यही अतिरिक्त आमदनी जीडीपी में भी भारी इज़ाफ़ा करेगी. खनिज और पत्थरों में राजस्थान की पकड़ पुरानी है, लेकिन खदान से कच्चा माल निकालकर बाहर भेज देने की आदत छोड़नी होगी. कटाई, पॉलिश, डिज़ाइन और उच्च मूल्य वाले उत्पादों का निर्यात ही हमें वास्तविक लाभ देगा.
ग्रामीण टूरिज्म को पर्यटन के नक्शे पर लाना होगा
पर्यटन राजस्थान की आत्मा है. किलों और महलों से आगे बढ़कर गांवों, लोककला, त्यौहारों और रेगिस्तानी अनुभवों को पैकेज किया जाए तो विदेशी पर्यटक का प्रवास एक दिन से 5 दिन तक बढ़ सकता है. ‘ग्रामीण टूरिज्म’ को बढ़ावा देने से रोजगार और आय में काफी बढ़ोतरी होगी. साथ ही शैक्षणिक सेवाओं, आईटी-आधारित कामों और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राजस्थान को नया हब बनाया जा सकता है. जयपुर, उदयपुर और जोधपुर जैसे शहर केवल पर्यटन से नहीं बल्कि उच्च शिक्षा, अनुसंधान और आईटी सेवाओं से भी अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर आ सकते हैं.
हालांकि इसके लिए शासन-व्यवस्था की सूरत बदलनी भी काफी जरूरी है. पारंपरिक कार्यशैली से बाहर निकलकर महीनों तक टेबल पर घूमने वाली फाइल को मंजिल तक पहुंचाना होगा. सिंगल विंडो की बात तो कही जाती है, लेकिन आज भी भूमि आवंटन, स्वीकृति और बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित नहीं पाती, अगर इन्हें 30 दिन के भीतर पूरा किया जाए तो विकास को गतिमान किया जा सकता है. स्किल डेवलपमेंट को भी कागजी प्रमाणपत्रों से इतर बाजार और उद्योग की मांग से जोड़ना होगा.
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