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Tuesday, September 9, 2025

क्या केवल कागजों में सिमट कर रह जायेगी जयपुर हाई टेक सिटी

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फरवरी 2024 में जब भजनलाल सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया था तो उसमें जयपुर के पास एक हाई-टेक सिटी बनाने की घोषणा सबसे अहम बिंदुओं में थी। इसे राजस्थान के डिजिटल भविष्य और आईटी हब बनने की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया गया। उस समय इसे रोजगार, निवेश और नवाचार के बड़े अवसर के रूप में पेश किया गया था। लेकिन आज, 16–17 महीने बाद, इस घोषणा की स्थिति पूछने पर जवाब केवल खामोशी है, न जगह का चयन हुआ है, न विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनी, न ही निवेशकों से ठोस संवाद हुआ। सवाल यह है कि क्या यह घोषणा सिर्फ़ बजट की गूंज बनकर रह जाएगी या राज्य सरकार इसे वाकई धरातल पर उतारने का इरादा रखती है।

जयपुर की भौगोलिक स्थिति अपने आप में एक वरदान है। दिल्ली–मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, नई बनी बांदीकुई–जयपुर एक्सप्रेसवे और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की निकटता इस शहर को हाई-टेक निवेश के लिए आदर्श बनाते हैं। यहां आईटी पार्क, डेटा सेंटर, इनोवेशन लैब और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे क्षेत्रों की जबरदस्त संभावनाएँ हैं। जयपुर पहले से ही शिक्षा और पर्यटन का गढ़ है, लेकिन नई अर्थव्यवस्था का केंद्र बनने के लिए उसे ठोस औद्योगिक और तकनीकी निवेश की ज़रूरत है। हाई-टेक सिटी इस दिशा में मील का पत्थर हो सकती है बशर्ते सरकार इसे गंभीरता से ले।

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अब तक की स्थिति हालांकि उत्साहजनक नहीं है। सरकार ने घोषणा तो कर दी, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई रोडमैप नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहले एक special purpose vehicle (SPV) का गठन होना चाहिए। यह संस्था भूमि अधिग्रहण, आधारभूत ढाँचा तैयार करने और निवेशकों को आकर्षित करने का काम संभाले। इसके साथ ही, एकल खिड़की प्रणाली अनिवार्य है ताकि अनुमति और मंज़ूरियों की प्रक्रिया समयबद्ध हो। यदि शुरुआती छह महीने में साइट चयन और एक साल में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार हो जाए तो निवेशकों का भरोसा बन सकता है।

राज्य के पास समय बर्बाद करने की गुंजाइश नहीं है.

राजस्थान की युवा आबादी तेज़ी से बढ़ रही है और उसे रोजगार और अवसरों की तलाश है। अगर सरकार हाई-टेक सिटी जैसे वादों को समय पर पूरा नहीं करती तो यह केवल एक खोखला सपना रह जाएगा। याद रहे कि चीन और अन्य देशों ने योजनाबद्ध ढंग से नए शहरी केंद्र बनाकर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को गति दी है। भारत और खासकर राजस्थान के पास भी वैसा ही मौका है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब घोषणाओं को ज़मीन पर उतारने की राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई जाए।

समाधान क्या है?

सरकार को चाहिए कि वह इस परियोजना के लिए एक ठोस टाइमलाइन घोषित करे छह महीने में जमीन का चयन, बारह महीने में डीपीआर और अठारह महीने में आधारभूत ढाँचे का काम शुरू। साथ ही सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग जैसे उपाय अनिवार्य किए जाएँ ताकि शहर टिकाऊ और पर्यावरण-संतुलित बने।

फिलहाल जनता का सबसे बड़ा सवाल यही है: बजट में किए गए वादों और धरातल पर सन्नाटे के बीच की खाई कब पाटी जाएगी? हाई-टेक सिटी केवल एक विकास योजना नहीं, बल्कि भजनलाल सरकार की विश्वसनीयता की परीक्षा बन चुकी है। अगर यह घोषणा केवल कागज़ पर ही रह गई तो आने वाले वर्षों में जनता इसे याद रखेगी एक खोए हुए अवसर और अधूरे वादे के प्रतीक के रूप में।

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