आज विश्व आत्महत्या रोकथाम (World Suicide Prevention Day) पर जरूरी है कि बढ़ते युवाओं और खासकर स्टूडेंट्स में आत्महत्या पर बात हो। स्कूल या कॉलेज में अक्सर मनोवैज्ञानिक विकास या काउंसलिंग के लिए साइकोलॉजिस्ट नियुक्त करने पर काफी चर्चा होती है, लेकिन हकीकत साकार नहीं होती।
नई शिक्षा नीति में भी इसका प्रावधान है, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी इस पर काम नहीं हुआ। इसी नई शिक्षा नीति के तहत यह प्रावधान किया गया था कि देश के हर ब्लॉक में काउंसलर नियुक्त किए जाएंगे, जो छात्रों की रुचि और क्षमता के अनुसार विषय चुनने में मदद करेंगे। साथ ही उनके भावनात्मक विकास का ध्यान रखेंगे।
महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं काउंसलर
नई शिक्षा नीति (NEP) के संदर्भ में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका समग्र छात्र विकास और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है। दरअसल, NEP 2020, 5+3+3+4 शैक्षिक संरचना के साथ, आधारभूत चरण (Foundational Stage) पर ज़ोर देती है। इस चरण में मनोवैज्ञानिक छात्र के संज्ञानात्मक, सामाजिक और व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन काउंसलर को छात्रों के लिए परामर्श प्रदान करने के लिए नियुक्त किया जाएगा, जिससे उन्हें सही रास्ता मिल सके।
इससे करियर के रास्ते भी खुलेंगे
NEP 2020 के अनुसार, एक छात्र अपनी स्नातक की डिग्री की अवधि के आधार पर मनोविज्ञान में 2 साल या 1 साल की मास्टर डिग्री हासिल कर सकता है, जिससे करियर से संबंधित स्पष्टता आती है। जाहिर तौर पर इस नियुक्ति से करीब 300 नए काउंसलर के तौर पर भर्तियों के रस्ते भी खुलेंगे।
आंकड़े बताते हैं कि क्यों जरूरी है इस पर गौर करना
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताज़ा रिपोर्ट ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2022’ के मुताबिक, साल 2022 में देशभर में 13 हजार से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की, जो 2021 की 6,654 की संख्या से दोगुनी थी। यह आंकड़ा देश में दर्ज कुल आत्महत्याओं का लगभग 7.6% है, जो चिंताजनक प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि परीक्षाओं में असफल होना छात्रों की आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक है। 18 वर्ष से कम आयु के 1,123 छात्रों ने केवल परीक्षा में असफल होने की वजह से अपनी जान दी, जिनमें 578 लड़कियां और 575 लड़के शामिल थे। आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज़्यादा आत्महत्या करने वाले वे लोग थे, जिनकी शिक्षा माध्यमिक स्तर तक थी, यह कुल आत्महत्याओं का 23.9% था. वहीं, शिक्षा से वंचित लोगों की संख्या 11.5% रही।
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