सोचिए, साल 2010 या उससे पहले से आप सरकारी नौकरी में हैं। भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के बाद सरकारी सेवा के लिए आपका चयन हुआ था, लेकिन अब कहा जाए कि या तो इस्तीफा दीजिए या रिटायरमेंट ले लीजिए, जबकि आपका कार्यकाल अभी भी करीब 15 साल से ज्यादा वर्ष के लिए बाकी हो। ऐसी स्थिति में क्या होगा? देश के लाखों सरकारी शिक्षकों के सामने अब ऐसा ही सवाल खड़े होने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने साफ कर दिया है कि कक्षा पहली से 8वीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टेट एग्जाम न केवल नई नियुक्ति, बल्कि पदोन्नति के लिए भी अनिवार्य होगा। इस आदेश का सीधा असर राजस्थान के हजारों शिक्षकों पर पड़ने जा रहा है। 1998 तक नियुक्त करीब 1 लाख तृतीय श्रेणी शिक्षकों पर यह नियम लागू होगा।
इसके चलते साल 2010 से पहले जो शिक्षक लगे हैं, उन्हें अब टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी टेट एग्जाम देना होगा। नई शिक्षा नीति-2020 के तहत टेट एग्जाम को अनिवार्य कर दिया गया था, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश सुनाया है। नई शिक्षा नीति के मुताबिक, यह एग्जाम प्रमोशन और नियुक्ति, दोनों के लिए अनिवार्य है।
पूरा मामला समझिए
2011 के बाद कक्षा पहली से 5वीं और 6वीं से 8वीं तक शिक्षकों की भर्ती टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET एग्जाम) से भर्ती होती थी। इसे बात में हटाकर REET एग्जाम के तहत शिक्षकों की भर्ती की जाने लगी। लेकिन अब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि TET एग्जाम के आधार पर ही शिक्षकों की नियुक्ति और उनका प्रमोशन भी किया जाए। साथ ही जो ऐसा करने में असफल रहते हैं, उनकी सेवा समाप्ति मानते हुए ऐच्छिक सेवानिवृत्ति दी जाए।
खास बात यह है कि इस फैसले का आधार नई शिक्षा नीति- 2020 को माना गया है। जबकि 5 साल बीत जाने के बाद भी राजस्थान में इसकी पालना नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जिन टीचर्स की नौकरी को 5 साल से ज्यादा बचे हैं, उन्हें टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) क्वालिफाई करना जरूरी होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या फिर कंपल्सरी रिटायरमेंट लेना होगा।
ये है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- 2010 से पहले जो शिक्षक लगे हैं, उन्हें यह एग्जाम देना होगा।
- जिन शिक्षकों के कार्यकाल में 5 साल या उससे कम का समय बाकी है, उन्हें छूट दी गई है।
- 2 साल के भीतर एग्जाम पास नहीं किए तो शैक्षिक सेवानिवृत्ति दी जाएगी।
- यह एग्जाम प्रमोशन और नियुक्ति, दोनों के लिए अनिवार्य है।
नई शिक्षा नीति-2020 में है प्रावधान
दरअसल, राजस्थान में वर्ष 1999 से 2004 के बीच कोई भर्ती नहीं निकली थी। जबकि 2005, 2008 और 2010 की बड़ी भर्तियों के शिक्षक भी टेट लागू होने से पहले नियुक्त हुए थे। फैसले के अनुसार, यदि कोई शिक्षक 55 वर्ष से अधिक आयु का है और पदोन्नति नहीं चाहता तो उसे टेट देना अनिवार्य नहीं होगा। वहीं, कक्षा 9 से 12 तक पढ़ाने वाले वरिष्ठ अध्यापक और व्याख्याता पर यह नियम लागू नहीं होगा। यानी टेट की बाध्यता केवल कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए रहेगी। अब इसे लागू करने में कई तरह की चुनौतियां सरकार को झेलनी होगी। वरिष्ठ शिक्षकों के एक वर्ग का विरोध झेलने पड़ सकता है।
भर्ती और प्रमोशन के लिए शिक्षा नीति क्या कहती है, जानिए
- नई शिक्षा नीति के मुताबिक, शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) सामग्री और शिक्षाशास्त्र दोनों के संदर्भ में बेहतर परीक्षण सामग्री को विकसित करने के लिए मजबूत किया जाएगा।
- स्कूल शिक्षा के सभी स्तरों (बुनियादी, प्रारंभिक, मिडिल और माध्यमिक) के शिक्षकों को शामिल करते हुए भी टीईटी को विस्तृत किया जाएगा।
- विषय शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में उनके संबन्धित विषय में प्राप्त टीईटी या एनटीए परीक्षा के अंको को भी शामिल किया जाएगा।
- शिक्षण के प्रति जोश और उत्साह को जांचने के लिए साक्षात्कार या कक्षा में पढ़ाने का प्रदर्शन करना, स्कूल या स्कूल कॉम्प्लेक्स में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग होगा।
- इन साक्षात्कारों का उपयोग स्थानीय भाषा में शिक्षण में सहजता और दक्षता का आकलन करने के लिए किया जाएगा, जिससे प्रत्येक स्कूल में कम से कम कुछ शिक्षक हों, जो स्थानीय भाषा और छात्रों की अन्य प्रचलित घरेलू भाषाओं में छात्रों के साथ बातचीत कर सकें।
- निजी स्कूलों में शिक्षकों को भी टीईटी, कक्षा में पढ़ाने का प्रदर्शन/साक्षात्कार और स्थानीय भाषा के ज्ञान के माध्यम से समान रूप से योग्य होना चाहिए।