राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र महज 6 बैठकों और 20 घंटे से भी कम के समय में बीत गया। कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन जारी रहा तो सत्ता पक्ष का बिल पास कराना। हालांकि सदन में विमर्श का अभाव ही दिखा। विपक्षी दल ने’वोट चोरी’ के मुद्दे पर घमासान किया, फिर झालावाड़ हादसे पर शिक्षा मंत्री से इस्तीफा मांगने तक पहुंचा और अंत होते-होते ‘जग्गा जासूस’ के मामले पर पहुंचा। इस दौरान नगर निकाय चुनाव कराने की मांग के लिए तख्तियां लेकर भी पहुंचे।
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन के ‘‘ना पक्ष ब्लॉक’’ में तीसरी आंख का मामला उठाकर विपक्ष जासूसी के आरोप पर ही बात करते नजर आया। कुल मिलाकर राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र धुआं-धुआं हो गया। ना बहस, ना चर्चा, बस सत्ता पक्ष और विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप और फिर उसमें ‘जग्गा जासूस’ का जिन्न।
लोकतंत्र के प्रहरी सत्ताधारी दल और विपक्ष, दोनों के जिम्मेदारी भरे रवैए के चलते सदन की कार्यवाही की ही बलि चढ़ गई। ना सत्ता का फ्लोर मैनेजमेंट दिखा और ना ही सदन चलाने की इच्छाशक्ति। बस दिखा तो सदन का कैमरा, जिसके चलते विपक्ष की टेढ़ी निगाहें सत्ता पर रही और इन्हीं कैमरों से लाइव प्रसारण में जनता भी दोनों पक्ष को देखती रही।
ना बाढ़ की चिंता रही, ना बहते घरों और लोगों की मौतों की। ना स्कूल के ढहती दीवारों की गूंज सदन में सुनाई दी और ना किसान की फसलों का खराबा सदन की चौखट तक पहुंच पाया। इस मानसून की अतिवृष्टि ने सबकुछ बहा दिया- किसानों की मेहनत, लोगों के घर और कई जिंदगियां। साथ ही इस सत्र में वो उम्मीदें भी बह गईं, जिन्हें पूरा करने का जिम्मा 8 करोड़ राजस्थानियों ने जनप्रतिनिधियों को दिया था। बरहाल, कैमरे में क्या रिकॉर्ड हुआ यह विषय नहीं है, क्योंकि जनता की आंखों में सबकुछ कैद हो गया है।
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