जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने झुंझुनूं जिले के खेतड़ी के दिवंगत राजा बहादुर सरदार सिंह की संपत्तियों से जुड़े चर्चित मामले में राजस्थान सरकार की दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि इस मामले में राज्य सरकार के पास दखल देने और कोर्ट आने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। मामला वर्ष 1985 में तैयार राजा बहादुर सरदार सिंह की वसीयत से जुड़ा है, जिसके आधार पर खेतड़ी ट्रस्ट का गठन किया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा वसीयत को वैध ठहराते हुए खेतड़ी ट्रस्ट को संपत्ति का अधिकार देने के फैसले को चुनौती देने के लिए राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट पहले ही वसीयत को वैध ठहरा चुकी है और प्रॉबेट जारी कर चुकी है, ऐसे में राज्य सरकार के पास इस मामले में दखल देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इस फैसले के साथ खेतड़ी ट्रस्ट को संपत्तियों का अधिकार बरकरार रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने खेतड़ी के दिवंगत राजा बहादुर सरदार सिंह की संपत्तियों से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए साफ किया कि यह वसीयत आधारित उत्तराधिकार का मामला है, न कि बिना वसीयत के उत्तराधिकार का। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 29 के तहत संपत्ति सरकार के पास जाने का प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होता। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार प्रॉबेट आदेश को चुनौती नहीं दे सकती।
याचिकाकर्ताओं पर लगा 1-1 लाख का जुर्माना
वहीं दूसरी तरफ, स्वयं को मृतक का पितृ पक्षीय संबंधी बताने वाले सुरेन्द्र सिंह व अन्य की याचिका भी कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी आपत्तियां और संबंधित दीवानी वाद पहले ही वापस ले लिया था, लेकिन यह तथ्य अदालत से छिपाया गया।
इस कारण न केवल उनकी याचिका खारिज की गई, बल्कि उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद स्पष्ट हो गया है कि अब खेतड़ी ट्रस्ट की संपत्ति पर राज्य सरकार या अन्य याचिकाकर्ताओं का कोई दावा नहीं बनता।
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