25.6 C
Jaipur
Friday, October 31, 2025

जोजरी नदी में जहरीला पानी: 16 लाख लोग संकट में, सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख; कह दी ये बड़ी बात

OP-EDजोजरी नदी में जहरीला पानी: 16 लाख लोग संकट में, सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख; कह दी ये बड़ी बात

Poisonous Water of Jojri River: जयपुर। राजस्थान की जोजरी नदी, जो नागौर, जोधपुर और बालोतरा जिलों से होकर बहती है, अब औद्योगिक कचरे के चलते जहरीले नाले में बदल गई है। हालात इतने बिगड़ गए कि सुप्रीम कोर्ट को खुद संज्ञान लेना पड़ा। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए इसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पास भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट मानना है कि अब इसके लिए बड़े और ठोस निर्देश जारी करना जरूरी है।

कोर्ट ने साफ कहा कि फैक्ट्रियों से छोड़ा जा रहा औद्योगिक अपशिष्ट न सिर्फ नदी को प्रदूषित कर रहा है बल्कि सैकड़ों गांवों की जिंदगी पर खतरा बन चुका है। ग्रामीणों को पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं हो रहा। यह पर्यावरणीय संकट अब सिर्फ नदी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सेहत पर भी सीधा खतरा बन चुका है।

जोजरी नदी बनी जहर की धारा

राजस्थान की जोजरी नदी, जो नागौर के पूंडलू गांव से निकलकर जोधपुर में लूनी नदी से मिलती है, आज गंभीर प्रदूषण की चपेट में है। दशकों से स्टील, टेक्सटाइल और टाइल फैक्ट्रियों का केमिकल कचरा इस नदी में बिना रोक-टोक छोड़ा जा रहा है। नदी के पानी में सल्फर, लेड और कैडमियम जैसे जहरीले रसायन सीवेज के साथ मिलकर इसे पूरी तरह ज़हर बना चुके हैं। हालत यह है कि नदी का पानी न तो खेती के लायक रह गया है और न ही इंसानों के पीने योग्य। गांवों में रहने वाले लोग और उनके पशु इस प्रदूषित पानी के कारण लगातार बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। डोली, अरबा, कल्याणपुर सहित करीब 100 गांवों का पानी पूरी तरह दूषित हो चुका है।

जोजरी में प्रदूषण रोकने को हुआ था जेपीएनटी का गठन, यहां बहाया जा रहा बिना  ट्रीट किया हुआ दूषित पानी | Patrika News | हिन्दी न्यूज

जोजरी नदी प्रदूषण से 20 लाख लोग संकट में

करीब 20 लाख लोग और हजारों पशु इस जहरीले पानी की मार झेल रहे हैं। किसान मजबूरी में इसी पानी से सिंचाई कर रहे हैं, लेकिन इसका असर सीधे खेतों और फसलों पर पड़ रहा है। नतीजा यह है कि अनाज और सब्जियां भी अब धीरे-धीरे जहरीली हो रही हैं। गांवों में त्वचा रोग, कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। लोग साफ पानी के लिए तरस रहे हैं और रोजमर्रा की जिंदगी भी संकट में पड़ चुकी है। गांव वाले सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक फैक्ट्रियों का जहरीला कचरा उनकी जिंदगी से खेलता रहेगा और कब मिलेगी इस संकट से राहत?

Contaminated water entered the fields, crops of moong, millet and rijka are  getting ruined | धवा में फैला जोजरी का 'तेजाब': खेतों में घुसा दूषित पानी,  मूंग, बाजरा व रिजका की फसलें

सुप्रीम कोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

जोजरी नदी प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि यह केवल जल प्रदूषण का नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन के अधिकार से जुड़ा हुआ गंभीर मामला है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने राजस्थान सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) से तत्काल रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि जोजरी में गिरता औद्योगिक कचरा न सिर्फ पेयजल को जहरीला बना रहा है, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बर्बाद कर रहा है। इससे इंसानों, पशुओं और फसलों, तीनों की जिंदगी पर खतरा मंडरा रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार क्या ठोस कदम उठाती है।

फैक्ट्रियां बंद, फंड जारी… फिर भी जहरीली जोजरी नदी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर 2019 से अब तक 73 फैक्ट्रियां बंद की गईं। इसके बावजूद अवैध डंपिंग लगातार जारी है और नदी में केमिकल का जहर बह रहा है। राजस्थान सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए 2023 में 400 करोड़, 2024 में 172.58 करोड़ और 2025-26 में 176 करोड़ रुपये आवंटित किए। लेकिन फंड का सही इस्तेमाल न होने से अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। गांवों में लोग अब भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, खेत जहरीले पानी से सींचे जा रहे हैं और बीमारी का खतरा हर दिन बढ़ता जा रहा है।

जोजरी में बढ़ रहे प्रदूषण पर उद्यमियों ने भी जताई चिंता, कहा अवैध धुलाई से  टेक्सटाइल उद्योग पर भी संकट | Patrika News | हिन्दी न्यूज

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से जगी उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर प्रदूषण के खिलाफ सख्त रुख दिखाया है। इससे पहले अदालत यमुना नदी, जयपुर की जल महल झील और पोलर नदी जैसे मामलों में भी कड़े आदेश दे चुकी है। अब जोजरी नदी प्रदूषण मामले में कोर्ट की दखल से ग्रामीणों और पर्यावरणविदों को उम्मीद जगी है कि जिम्मेदार फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई होगी।  लोगों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह कदम केवल प्रदूषण रोकने का नहीं, बल्कि नदी को बचाने और आने वाली पीढ़ियों की सेहत सुरक्षित करने का प्रयास है। यह देखना अहम होगा कि क्या इस बार राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियां अदालत की सख्ती को अमल में बदल पाती हैं या फिर यह मामला भी पुराने मामलों की तरह सिर्फ फाइलों में सिमटकर रह जाएगा।

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles