20.6 C
Jaipur
Thursday, October 9, 2025

क्यों अब तक तय नहीं हो पाई राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव की तारीख? RTI में खुला सच

Newsक्यों अब तक तय नहीं हो पाई राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव की तारीख? RTI में खुला सच

Rajasthan News: राजस्थान में पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति गहराती जा रही है। राज्य निर्वाचन आयोग ने जहां मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें सरकार को शीघ्र चुनाव कराने और ग्राम पंचायतों से प्रशासकों को हटाने के निर्देश दिए गए थे।

इस बीच, सूचना का अधिकार (RTI) के तहत पूछे गए सवालों का जवाब देने में आयोग की असमर्थता ने नई बहस छेड़ दी है। आयोग की ओर से जवाब न मिल पाने से जनता और राजनीतिक दलों में असंतोष और गहराता जा रहा है, जिससे आगामी चुनावों को लेकर स्थिति और भी उलझ गई है।

RTI में निर्वाचन आयोग का जवाब 

राजस्थान कांग्रेस प्रवक्ता और अधिवक्ता संदीप कलवानिया ने RTI के तहत राज्य निर्वाचन आयोग से चार अहम सवाल पूछे थे।

  1. जिन ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों, जिला परिषदों, नगरपालिकाओं और नगर निगमों का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनके चुनाव कब कराए जाएंगे?
  2. इसके अलावा यह भी सवाल उठाया गया कि संविधान के अनुच्छेद 243 (e) और (u) की पालना सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने अब तक क्या कार्रवाई की है?
  3. कलवानिया ने यह भी पूछा कि कार्यकाल पूरा कर चुके निकायों के चुनाव को लेकर आयोग का क्या निर्णय है और आखिरकार चुनाव समय पर न कराने की वजह क्या है?

कांग्रेस प्रवक्ता संदीप कलवानिया द्वारा RTI के तहत पूछे गए सवालों के जवाब में आयोग ने केवल इतना कहा कि पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकायों की मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्यक्रम जारी है और चुनाव प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है। आयोग ने यह भी बताया कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण का विस्तृत आदेश 22 अगस्त 2025 को उनकी आधिकारिक वेबसाइट (https://sec.rajasthan.gov.in/) पर उपलब्ध है।

हालांकि, आयोग का यह जवाब न तो सवालों का समाधान कर पाया और न ही चुनाव की संभावित तारीखों पर कोई स्पष्टता दे सका। इससे यह साफ हो गया है कि आयोग अब तक चुनाव कार्यक्रम को लेकर किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है। राजनीतिक दलों और जनता ने इसे आयोग की लचर कार्यप्रणाली करार देते हुए कहा कि यह जवाब लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करता है।

सिंगल बेंच बनाम डबल बेंच

18 अगस्त 2025 को जस्टिस अनूप ढंढ़ की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह जल्द से जल्द चुनाव कराए और ग्राम पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों को हटाए। इस आदेश से सरकार और निर्वाचन आयोग पर दबाव बढ़ गया था और उम्मीद जताई जा रही थी कि लंबे समय से लटके चुनाव शीघ्र होंगे।

हालांकि, राज्य सरकार ने इस आदेश को डबल बेंच में चुनौती दी। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की डबल बेंच ने सरकार की दलीलें सुनने के बाद सिंगल बेंच के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद और अतिरिक्त महाधिवक्ता कपिल प्रकाश माथुर ने तर्क दिया कि सिंगल बेंच का आदेश अनुचित है, क्योंकि पंचायत चुनाव और परिसीमन से जुड़ी याचिका पर पहले ही डबल बेंच सुनवाई कर चुकी है, जिसका फैसला रिजर्व है। साथ ही, याचिकाओं में प्रशासकों की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी, न कि चुनाव कराने की मांग। डबल बेंच ने इन दलीलों को स्वीकार करते हुए सिंगल बेंच के आदेश को स्थगित कर दिया। इसके चलते पंचायत और निकाय चुनाव की प्रक्रिया में और देरी की आशंका बढ़ गई है।

चुनाव पर फिर छाए अनिश्चितता के बादल

राज्य निर्वाचन आयोग ने 22 अगस्त 2025 को पुराने परिसीमन के आधार पर मतदाता सूची तैयार करने का शेड्यूल जारी किया था। इसके अनुसार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 26 सितंबर 2025 तक प्रकाशित की जानी थी और अंतिम सूची 29 अक्टूबर 2025 तक तैयार होनी थी। लेकिन हाईकोर्ट की डबल बेंच के अंतरिम आदेश के बाद इस प्रक्रिया पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि नए परिसीमन के आधार पर पंचायतें और निकाय पहले ही अस्तित्व में आ चुके हैं। ऐसे में कोर्ट के आदेश के बाद आयोग को अपने कार्यक्रम में संशोधन करना पड़ सकता है। इसी बीच, निर्वाचन आयोग में भी बड़ा बदलाव हुआ है। चुनावी प्रक्रिया संभाल रहे आयुक्त मधुकर गुप्ता का कार्यकाल समाप्त हो गया है और उनकी जगह राजेश्वर सिंह को नया आयुक्त नियुक्त किया गया है।

चुनाव में देरी से जनता नाराज़

राजस्थान में पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनावों में हो रही देरी ने जनता की बेचैनी बढ़ा दी है। ग्राम पंचायतों और निकायों में प्रशासकों के जरिए कामकाज तो चल रहा है, लेकिन लोगों का कहना है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के बिना लोकतंत्र की मूल भावना कमजोर हो रही है। इस बीच, राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने सरकार और निर्वाचन आयोग की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए हैं और आरोप लगाया है कि जानबूझकर चुनाव टाले जा रहे हैं। वहीं, भाजपा इस बहस को अपने ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ एजेंडे से जोड़कर आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles