Rajasthan Nikay Chunav 2025: जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान होने के बावजूद नगर पालिकाओं के चुनाव समय पर नहीं कराए गए। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं का कार्यकाल जनवरी माह में ही पूरा हो चुका है। इसके बाद एसडीओ को प्रशासक बनाकर जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ छह महीने तक ही चल सकती है। राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है कि संविधान के अनुसार तुरंत चुनाव की तारीख घोषित कर लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल की जाए।
न्यायालय ने चेतावनी दी कि लंबे समय तक चुनाव नहीं होने से स्थानीय स्तर पर शासन शून्यता पैदा हो सकती है। इससे शहरी क्षेत्रों की जमीनी गतिविधियां और जनसुविधाएं प्रभावित होंगी। हाईकोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग से पूछा है कि आखिर अब तक चुनाव क्यों नहीं कराए गए और इसमें देरी की वजह क्या है
कोर्ट ने कहा कि अनुचित देरी की स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग के लिए जरूरी हो जाता है कि वह मामले में हस्तक्षेप करे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए कदम उठाए। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश उर्मिला अग्रवाल व अन्य की याचिकाओं पर दिए। कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए साफ कहा कि अध्यक्ष पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने मुख्य सचिव, राज्य भारतीय निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश की कॉपी भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।
सरपंचों को हटाने पर हाईकोर्ट में विवाद
राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें चुने हुए सरपंचों और उप सरपंचों को हटाकर प्रशासक नियुक्त किए गए हैं। अधिवक्ता जीएस गौतम सहित अन्य वकीलों ने अदालत में दलील दी कि याचिकाकर्ता जनवरी 2020 में अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों में सरपंच बने थे। जून 2021 में स्वायत्त शासन विभाग ने कुछ ग्राम पंचायतों को शहरी निकाय में शामिल कर लिया और चुने हुए प्रतिनिधियों को शहरी निकाय में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने 22 जनवरी को अधिसूचना जारी कर उनके पांच साल का कार्यकाल पूरा होने की बात कही और उनकी जगह प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशासक बना दिया और कई अन्य ग्राम पंचायतों में कार्यकाल पूरा होने के बावजूद सरपंचों को ही प्रशासक बनाया गया है। ऐसे में केवल याचिकाकर्ताओं को हटाना स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण कदम है।
चुनाव जल्द कराने के संकेत
राजस्थान हाईकोर्ट में नगर निकायों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद से हटाए गए प्रतिनिधियों की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने अदालत में तर्क दिया कि याचिकाकर्ता अदालत से अपने पद पर बने रहने का आदेश चाहते हैं, लेकिन यह तभी संभव है जब उनके कानूनी अधिकार का उल्लंघन हुआ हो। जबकि याचिकाकर्ताओं का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है।
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाओं को खारिज कर दिया। साथ ही स्पष्ट संकेत दिया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया बनाए रखने के लिए नगर निकाय चुनाव जल्द कराए जाने चाहिए। इस फैसले के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग पर दबाव बढ़ गया है कि वह चुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द करे।