नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही गरबा पंडालों में गैर-हिंदुओं की एंट्री को लेकर विवाद फिर से तेज हो गया है। कुछ हिंदू संगठनों और राजनीतिक दलों का कहना है कि जब दूसरे समुदाय के लोग गरबा और डांडिया कार्यक्रमों में शामिल होते हैं तो झगड़े और महिलाओं से छेड़छाड़ जैसी घटनाएं बढ़ जाती हैं। महिला सुरक्षा का हवाला देते हुए अब इन आयोजनों में सिर्फ हिंदुओं को ही प्रवेश देने की मांग उठ रही है। इसी बीच, राजस्थान राजनीति में बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस बहस पर बड़ा बयान देकर नया सियासी रंग जोड़ दिया है।
सोमवार को जोधपुर में ‘नशा मुक्त राजस्थान’ अभियान के तहत आयोजित ‘नमो रन’ के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा, “हम तो इस पक्ष के हैं कि हमारी बहनों का गरबा कार्यक्रम अलग से हो और पुरुषों का अलग से।
राठौड़ का यह बयान भीलवाड़ा में सामने आए उस विवाद के बाद आया है, जहां गरबा आयोजनों में प्रवेश के लिए आधार कार्ड और तिलक दिखाना अनिवार्य कर दिया गया था। इस बयान ने राजस्थान राजनीति में गरबा आयोजनों को लेकर चल रही बहस को फिर से गर्मा दिया है।
राजस्थान राजनीति में नवरात्रि के अवसर पर गरबा पंडालों को लेकर बहस फिर तेज हो गई है, कुछ हिंदू संगठनों और राजनीतिक दलों का कहना है कि जब अन्य समुदाय के लोग इन कार्यक्रमों में आते हैं तो झगड़े और महिलाओं से छेड़छाड़ जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं। महिला सुरक्षा के मद्देनजर अब गरबा और डांडिया आयोजनों में सिर्फ हिंदुओं को ही प्रवेश देने की मांग उठ रही है। इसी संदर्भ में सोमवार को जोधपुर में ‘नशा मुक्त राजस्थान’ अभियान के तहत आयोजित ‘नमो रन’ के दौरान राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि कई जगह गरबा कार्यक्रम एक साथ होते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी आते हैं जिनका मकसद केवल धार्मिक या सांस्कृतिक भागीदारी नहीं होता। कहीं अवांछित लोग भी आ जाते हैं जो इसमें भावात्मक रूप से नहीं जुड़े होते और किसी अन्य मकसद से आते हैं, उन्होंने कहा और जोर देकर कहा कि ऐसे लोगों को रोकने के प्रयास सही हैं और ऐसा होना चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूरे देश में नवरात्रि का उत्साह है और गरबा पंडालों में भीड़ उमड़ रही है।