राजस्थान के औद्योगिक शहर कोटा में आज आयकर विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई की। दिल्ली से आई आयकर विभाग की टीम ने जिंक और माइनिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी मित्तल पिगमेंट प्राइवेट लिमिटेड के कई ठिकानों पर एक साथ छापा मारा।
शुरुआती जानकारी के अनुसार, कंपनी के प्रबंधन से जुड़े लगभग 10 ठिकानों पर यह छापेमारी जारी है। अधिकारियों की एक दर्जन से अधिक टीम कंपनी से जुड़े दस्तावेज़ों और वित्तीय रिकॉर्ड की गहन छानबीन कर रही है। आयकर विभाग के इस कदम का मकसद कंपनी के वित्तीय लेन-देन और कर संबंधित दस्तावेजों की पूरी जांच करना बताया जा रहा है।
यह कार्रवाई कंपनी के मुख्य प्लांट, जो रोड नंबर 5 स्थित है, से शुरू हुई। सुबह-सुबह आयकर विभाग के अधिकारी कंपनी के परिसर में पहुंचे और गहन जांच शुरू कर दी। सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी गुप्त सूचना के आधार पर की गई, जिसमें कंपनी के खातों में वित्तीय अनियमितताओं और कर चोरी की आशंका जताई गई है।
इस कार्रवाई के कारण पूरे औद्योगिक क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों की टीम कंपनी से जुड़े दस्तावेज़ों और वित्तीय रिकॉर्ड की गहन जांच कर रही है। छापेमारी की पूरी प्रक्रिया के बाद ही इसकी विस्तृत जानकारी सामने आएगी। विभाग की टीम कंपनी के प्लांट, कॉर्पोरेट कार्यालयों और प्रबंधन से जुड़े प्रमुख लोगों के आवासों सहित कुल 10 ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई कर रही है। अधिकारियों ने सभी परिसरों को सील कर दिया है और किसी भी व्यक्ति को अंदर या बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही। जांच टीम कंपनी के सभी वित्तीय लेन-देन, बिल, बैंक खातों और कंप्यूटरों में दर्ज डेटा की गहन जांच कर रही है। सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या कंपनी ने अपनी आय को छुपाया है या किसी तरह की फर्जी कंपनियां बनाकर अवैध लेन-देन किए हैं।
दिल्ली और अन्य शहरों के कार्यालयों पर भी निगाह
कोटा की जानी-मानी जिंक और खनन कंपनी मित्तल पिगमेंट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आयकर विभाग ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इस बड़ी औद्योगिक इकाई पर छापेमारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
माना जा रहा है कि यह कार्रवाई सिर्फ कोटा तक सीमित नहीं है, बल्कि कंपनी के दिल्ली और अन्य शहरों में स्थित कार्यालयों पर भी निगाह रखी जा रही है। आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि जांच में कई अहम दस्तावेज बरामद होने की उम्मीद है, जिनसे कर चोरी और अवैध वित्तीय लेन-देन के तरीकों का खुलासा हो सकता है।
कैसे की जाती है आयकर विभाग की छापेमारी?
आयकर विभाग की छापेमारी एक गोपनीय और योजनाबद्ध कार्रवाई होती है, जो किसी व्यक्ति या कंपनी के खिलाफ कर चोरी या अघोषित आय की ठोस जानकारी मिलने के बाद की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य अघोषित संपत्ति, नकद, सोना-चांदी और अन्य कीमती सामान को जब्त करना होता है, जिनके बारे में आयकर रिटर्न में जानकारी नहीं दी गई होती।
बड़ी कंपनियों के मामलों में, यह छापेमारी आमतौर पर एक साथ कई ठिकानों पर की जाती है, ताकि सबूत नष्ट होने से रोके जा सकें। छापेमारी के दौरान आयकर अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के परिसर में प्रवेश करते हैं और सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लेते हैं।
सूत्रों के अनुसार, ऐसी कार्रवाई कई दिनों तक भी चल सकती है, जब तक कि सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज और प्रमाण जब्त न कर लिए जाएं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं का पूरी तरह से पता लगाना होता है।