राजस्थान के टोंक जिले में फर्जी डिग्री का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर 32 साल पहले शिक्षक बने श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की पोल रिटायरमेंट से सिर्फ सात दिन पहले खुली। वह वर्तमान में बिलासपुर के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर थे। उनकी नियुक्ति जून 1993 में जिला परिषद टोंक के तहत तृतीय श्रेणी अध्यापक के रूप में हुई थी और जुलाई 1993 में उन्होंने राजकीय प्राथमिक विद्यालय मंडालिया में जॉइन किया था।
फर्जी डिग्री का सत्यापन
करीब एक महीने पहले श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल के खिलाफ एसओजी में शिकायत दर्ज हुई थी कि उन्होंने नियुक्ति के समय लखनऊ विश्वविद्यालय से फर्जी बीएड डिग्री लगाई थी। एसओजी ने विश्वविद्यालय से जांच करवाई और 10 सितंबर को रजिस्ट्रार ने साफ किया कि श्रीकृष्ण की अंकतालिका और डिग्री लखनऊ विश्वविद्यालय ने कभी जारी ही नहीं की थी।
शिक्षक ने बेटे को भेजा, खुद नहीं आए
इस रिपोर्ट के बाद जिला परिषद ने 18 सितंबर को आरोपी शिक्षक से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा। लेकिन उसने बीमारी का हवाला देकर खुद नहीं आया और अपने बेटे को भेजा। बेटे ने बीएड की अंकतालिका, डिग्री का प्रमाण पत्र और 1994 की विश्वविद्यालय सत्यापन रिपोर्ट पेश की।
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