Sonam Wangchuck in Jodhpur Central Jail: लेह में हुई हिंसा के तीन दिन बाद पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। लद्दाख पुलिस प्रमुख एस. डी. सिंह जामवाल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दोपहर 2:30 बजे वांगचुक को अरेस्ट किया। उन पर हिंसा भड़काने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें पहले दिल्ली ले जाया गया और फिर विशेष सुरक्षा व्यवस्था के तहत एयर फोर्स स्टेशन के माध्यम से राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया।
जोधपुर पुलिस कमिश्नर भी इस दौरान उनके साथ मौजूद थे। वांगचुक को जोधपुर सेंट्रल जेल में रखने के पीछे तीन मुख्य कारण बताए जा रहे हैं: पहला, उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देना; दूसरा, उन्हें लेह से दूर रखकर आगे किसी संभावित अशांति को रोकना; और तीसरा, जोधपुर सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी व्यवस्था। सवाल उठ रहे हैं कि वांगचुक को लद्दाख या नजदीकी किसी राज्य में क्यों नहीं रखा गया, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि उनकी लोकप्रियता और संवेदनशीलता को देखते हुए यह फैसला लिया गया ताकि क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनी रहे।
जोधपुर सेंट्रल जेल ही क्यों
लेह हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख या आसपास की किसी जेल में न रखकर सीधे राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया। अब सवाल उठता है कि आखिर जोधपुर सेंट्रल जेल ही क्यों चुनी गई? इस जेल का नाम पहले भी कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सामने आ चुका है। यही वो जेल है जहां बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को काले हिरण शिकार मामले में और गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को भी सुरक्षा कारणों से रखा गया था।
दरअसल, जोधपुर सेंट्रल जेल राजस्थान की सबसे सुरक्षित और हाई-प्रोफाइल जेलों में से एक मानी जाती है। यह जेल मुख्य रूप से लंबी सजा काट रहे कैदियों और हाई रिस्क या हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए आरक्षित होती है। यहां विशेष निगरानी, अलग सेल, और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध है, जो किसी भी आम जेल में संभव नहीं होती।
सूत्रों के मुताबिक, सोनम वांगचुक को भी इन्हीं कारणों से जोधपुर शिफ्ट किया गया। एक तो उनकी लोकप्रियता और संवेदनशीलता, और दूसरा, अगर उन्हें आम कैदियों के बीच रखा जाता तो उनकी जान को खतरा हो सकता था। जोधपुर सेंट्रल जेल में उन्हें अलग रखा जा सकता है और उन पर विशेष निगरानी रखी जा सकती है। प्रशासन का मानना है कि वांगचुक जैसे चर्चित व्यक्ति को सुरक्षित और नियंत्रण में रखने के लिए यह जेल सबसे उपयुक्त है।
हाई-प्रोफाइल कैदियों की पसंदीदा जेल
राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल एक बार फिर सुर्खियों में है, इस बार वजह हैं पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जिन्हें एनएसए के तहत गिरफ्तार कर यहां शिफ्ट किया गया है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब यह जेल किसी हाई-प्रोफाइल कैदी की मेज़बान बनी हो। इससे पहले भी कई चर्चित नाम इस जेल की रोटी तोड़ चुके हैं।
साल 2017 में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को इसी जेल में बंद किया गया था। सुरक्षा कारणों से उसे जोधपुर लाया गया था। हालांकि अब वह गुजरात की साबरमती जेल में शिफ्ट किया जा चुका है।
बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान भी इस जेल के चर्चित कैदियों में रह चुके हैं। साल 2018 में उन्हें 1998 के काले हिरण शिकार मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई थी और वे कुछ दिनों तक जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद रहे। तब उन्हें कैदी नंबर 106 दिया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई और वे जेल से रिहा हो गए।
विवादित धर्मगुरु आसाराम बापू भी इस समय इसी जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। वह बलात्कार के मामले में दोषी करार दिया गया था। जेल प्रशासन ने उसे विशेष खतरे को ध्यान में रखते हुए स्पेशल सेल में रखा है।
इन मामलों से साफ है कि जोधपुर सेंट्रल जेल को हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील मामलों के कैदियों को रखने के लिए चुना जाता है, जहां उनकी सुरक्षा और निगरानी के विशेष इंतजाम होते हैं। सोनम वांगचुक को यहां शिफ्ट किया जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।