बीकानेर। राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने बीकानेर दौरे के दौरान एक ऐसा उदाहरण पेश किया, जिसने राजनीति की भीड़ में इंसानियत और दोस्ती की असल तस्वीर को सामने रख दिया। डॉ. किरोड़ी अपने पुराने मित्र नारायण के घर अचानक पहुंचे, तो वर्षों पुरानी यादें जैसे जिंदा हो उठीं। साधारण से मकान में जब मंत्रीजी के कदम पड़े, तो नारायण की आंखें नम हो गईं। भावुक होकर उन्होंने कहा “आप मेरे लिए भगवान कृष्ण हैं, और मेरा यह आंगन सुदामा का घर।”
आपातकाल की दोस्ती, जो अब भी ज़िंदा है
यह कहानी 1970 के दशक की है, जब डॉ. किरोड़ी लाल मीणा बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। देश में उस समय आपातकाल का भय और अनिश्चितता फैली हुई थी। ऐसे कठिन दौर में नारायण, जो एक साधारण युवक थे, डॉ. किरोड़ी के सहयोगी, रक्षक और सच्चे मित्र बनकर सामने आए। नारायण ने न केवल मंत्री बनने वाले इस छात्र की मदद की, बल्कि हर कठिन मोड़ पर मित्र धर्म निभाया—चाहे वह सुरक्षा का सवाल हो या रोज़मर्रा की ज़रूरतें।
बीकानेर में MBBS की शिक्षा के दौरान मेरे सहयोगी रहे श्री नारायण जी मोदी के निवास पर पहुँचकर उनकी कुशलक्षेम जानी तथा परिवारजनों से आत्मीय भेंट की। @narendramodi pic.twitter.com/6Gq0rxTAcw
— Dr. Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) September 29, 2025
मित्र की पुकार सुन दौड़े मंत्री
समय बदला, राजनीति में ऊंचाई मिली, लेकिन नारायण की ज़िंदगी अकेलेपन और आर्थिक तंगी से जूझने लगी। जैसे ही यह खबर डॉ. किरोड़ी को मिली, उन्होंने सारे राजनीतिक कार्यक्रमों से ऊपर रखते हुए मित्र धर्म निभाने का फैसला किया। बीकानेर में जैसे ही वे नारायण के घर पहुंचे, वहां की गलियों में भावनाओं की गर्माहट दौड़ गई। उन्होंने न केवल आर्थिक सहायता दी, बल्कि उन्हें दिलासा देते हुए कहा “तुम कभी अकेले नहीं हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।”
राजनीति में रिश्तों की मिसाल
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की यह मुलाकात सिर्फ एक दोस्ती नहीं थी, यह एक संदेश था—कि रिश्ते अगर सच्चे हों, तो समय, पद और परिस्थिति उन्हें तोड़ नहीं सकते। जब राजनीति में रिश्ते अक्सर औपचारिक हो जाते हैं, ऐसे में यह मुलाकात संवेदनशीलता और इंसानियत की मिसाल बन गई है।
बीकानेर की गलियों में बसी एक कहानी
यह मुलाकात अब बीकानेर की मिट्टी में एक याद बनकर बस गई है। यह उस हर इंसान को छूती है जो सच्चे रिश्तों की अहमियत जानता है। डॉ. किरोड़ी और नारायण की दोस्ती आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण है कि इंसान अगर चाहे, तो सत्ता में रहकर भी दिलों को जीत सकता है।
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