राजस्थान के डीग कस्बे में स्थित श्री जड़खोर गुरुकुल बच्चों के लिए एक अलग रास्ता दिखा रहा है। यहां के छात्र मोबाइल, टीवी और इंटरनेट से दूर रहते हैं और वेद तथा शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त करते हैं। गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चों को बटुक ब्रह्मचारी कहा जाता है। ये बच्चे सात साल के पाठ्यक्रम के दौरान यहीं रहकर पढ़ाई करते हैं। उन्हें सामान्य शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और वेदों का ज्ञान भी दिया जाता है। नेपाल में हाल ही में Gen Z युवाओं की हिंसा और उपद्रव की खबरें चर्चा में रही थीं। इसके विपरीत, श्री जड़खोर गुरुकुल में यही पीढ़ी संस्कृति के संरक्षक बनने की तैयारी कर रही है।
संस्कार और सेवा से तराशे युवा
ब्रह्ममुहूर्त में उठना, गो सेवा करना, योग और ध्यान, वेद अभ्यास, सूर्य नमस्कार, यज्ञ और हवन उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। विद्यालय में पढ़ाई के लिए संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी और गणित भी शामिल हैं। यहां शिक्षा पूरी तरह निशुल्क है और इसका संचालन श्रीरैवासा धाम और वृंदावन धाम के स्वामी राजेन्द्र दास के मार्गदर्शन में होता है। उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य विलुप्त होती सनातन संस्कृति की रक्षा करना है। पथभ्रष्ट भावी पीढ़ी की जगह संस्कारवान युवा तैयार हों, जो गो भक्त, संत भक्त और राष्ट्र भक्त बनकर खड़े हों और जिस भी समय देश को उनकी आवश्यकता हो, वे सबसे आगे रहें।
डिजिटल दुनिया से दूर शिक्षा
इस गुरुकुल में हिमाचल, उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों से छात्र आकर एक ही छत के नीचे शिक्षा ले रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि यहां मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पूरी तरह बैन हैं। छात्रों को सप्ताह में केवल एक बार अभिभावकों से फोन पर बात करने की अनुमति होती है और महीने में सिर्फ एक बार माता-पिता से मिलने का मौका दिया जाता है।
संस्कार और अनुशासन की पाठशाला
यहां शिक्षा ले रहे बटुकों ने बताया कि गुरुकुल की दिनचर्या खास है। भोजन में केवल सात्विक आहार परोसा जाता है, मांस, मदिरा, फास्ट फूड और किसी भी प्रकार के व्यसन पूरी तरह वर्जित हैं। गोवृति प्रसाद को भोजन में प्राथमिकता दी जाती है और गो सेवा हर छात्र के लिए अनिवार्य है। डीग का यह गुरुकुल नई पीढ़ी को आधुनिक तकनीक की अंधी दौड़ से दूर रखकर उन्हें संस्कार, अनुशासन और भारतीय संस्कृति से जोड़ रहा है। यहां से निकलने वाले छात्र न सिर्फ पढ़ाई में अच्छे होंगे, बल्कि संस्कारवान और जिम्मेदार नागरिक बनकर समाज और देश की सेवा करेंगे।
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