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Wednesday, October 8, 2025

पुलिस हिरासत में आदिवासी युवक की मौत के बाद बवाल! कलेक्ट्रेट के सामने सड़क पर बैठे MP राजकुमार रोत; जानें क्या है मांगें?

Newsपुलिस हिरासत में आदिवासी युवक की मौत के बाद बवाल! कलेक्ट्रेट के सामने सड़क पर बैठे MP राजकुमार रोत; जानें क्या है मांगें?

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में दोवड़ा थाना क्षेत्र में पुलिस हिरासत के दौरान युवक दिलीप अहारी की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। चोरी के आरोप में 25 सितंबर को हिरासत में लिए गए दिलीप की पूछताछ के दौरान तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर उदयपुर रेफर किया गया, जहां 30 सितंबर को उसकी मौत हो गई।

मृतक के परिजनों और आदिवासी समाज ने पुलिस पर हिरासत में मारपीट का आरोप लगाते हुए कलेक्ट्रेट के बाहर डेरा डाल दिया है। यह विरोध प्रदर्शन लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शनकारी युवक के शव का पोस्टमार्टम कराने से भी इनकार कर चुके हैं। उनकी मांग है कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त नहीं किया जाता, उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होता, परिजनों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी नहीं दी जाती, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगे।

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बुधवार तड़के साढ़े तीन बजे तक प्रशासन और आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत चली, जिसमें प्रभारी मंत्री बाबूलाल खराड़ी, सांसद मन्नालाल रावत, बीएपी सांसद राजकुमार रोत, विधायक उमेश मीणा और अनिल कटारा सहित कलेक्टर अंकित कुमार और एसपी मनीष कुमार मौजूद रहे। प्रशासन ने आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने और मृतक के परिजन को संविदा नौकरी देने पर सहमति जताई, लेकिन 1 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग पर गतिरोध बना रहा।

धरना-प्रदर्शन जारी, प्रशासन की कोशिशें बेअसर

प्रशासन ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार अधिकतम 5 लाख रुपये की सहायता ही पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत दी जा सकती है। हालांकि, वार्ता के एक चरण में 25 लाख रुपये की सहायता, संविदा नौकरी और आरोपियों पर कार्रवाई की बात सामने आई, लेकिन बीएपी सांसद राजकुमार रोत और अन्य जनप्रतिनिधियों ने इसे अस्वीकार कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि जब तक “उचित आर्थिक सहायता” नहीं मिलेगी, पोस्टमार्टम नहीं होगा और विरोध जारी रहेगा।

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सांसद राजकुमार रोत ने किया समझौते से इनकार

बीएपी सांसद राजकुमार रोत और अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। सांसद रोत ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक “उचित आर्थिक सहायता” नहीं दी जाती, तब तक न तो पोस्टमार्टम करवाया जाएगा और न ही कलेक्ट्रेट के बाहर जारी पड़ाव समाप्त होगा। रात करीब 2 बजे प्रभारी मंत्री और अन्य सांसद वहां से रवाना हो गए, लेकिन कलेक्टर अंकित कुमार और एसपी मनीष कुमार मौके पर डटे रहे और समझौता कराने के प्रयासों में जुटे रहे। प्रशासन की कोशिशों के बावजूद मामला अब भी अटका हुआ है और धरना प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी है।

क्या है मुख्य मांगे 

1. आरोपी पुलिसकर्मियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
2. आरोपी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।
3. मृतक के परिजनों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
4. परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।

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