पटना, 1 अक्टूबर 2025: “सारा श्रृंगार किया पर ‘घेघा’ बिगाड़ दिया…” — बिहार के ग्रामीण अंचलों में कही जाने वाली यह कहावत कांग्रेस पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है! विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में कांग्रेस ने चाहे जितनी आक्रामकता दिखाई हो, लेकिन ताज़ा जेवीसी-टाइम्स नाउ ओपिनियन पोल में इसके नतीजे निराशाजनक नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की पूरी रणनीति और राहुल गांधी की लंबी यात्राएं अब सवालों के घेरे में हैं।
राहुल गांधी ने वोट चोरी, बिहार एसआईआर, और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर खुलकर आवाज़ उठाई, 16 अगस्त से 3 सितंबर तक बिहार का दौरा किया, तेजस्वी यादव को साथ लेकर नीतीश सरकार को घेरा — लेकिन क्या यह रणनीति कामयाब हुई? सर्वे क्या कहता है जानिए।
कांग्रेस की सियासी ज़मीन और खिसकती हुई
2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 19 सीटें मिली थीं, लेकिन 2025 के चुनावी पूर्वानुमान में पार्टी को महज 11-14 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। यानी कांग्रेस अपनी ही स्थिति से और पिछड़ती हुई नजर आ रही है। ओपिनियन पोल में 52% लोगों ने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए “वोट चुराने” के आरोपों को निराधार बताया। यही नहीं, कांग्रेस की बात मतदाताओं को अपील नहीं कर पाई। इससे साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस बिहार में जमीनी समर्थन खोती जा रही है।
नीतीश-तेजस्वी की सीधी टक्कर, कांग्रेस को नहीं मिली जगह
जेपीसी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक:
- भाजपा: 66-77 सीटें
- जेडीयू: 52-58 सीटें
- राजद: 57-71 सीटें
- कांग्रेस: 11-14 सीटें
- जन सुराज (प्रशांत किशोर): 4-6 सीटें
- अन्य: 5-6 सीटें
स्पष्ट है कि बिहार चुनाव में मुकाबला नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव के बीच बनता दिख रहा है, जबकि कांग्रेस कहीं पीछे छूटती हुई नजर आ रही है।
वोट शेयर और सीएम पसंद में भी पिछड़ी कांग्रेस
वोट शेयर अनुमान:
- एनडीए: 41-45%
- महागठबंधन (राजद, कांग्रेस आदि): 37-40%
- जन सुराज: 10-11%
मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद:
- नीतीश कुमार: 27%
- तेजस्वी यादव: 25%
- प्रशांत किशोर: 15%
- चिराग पासवान: 11%
- सम्राट चौधरी: 8%
इसमें कांग्रेस का कोई चेहरा सीएम रेस में नहीं है, जो कि पार्टी की रणनीतिक कमजोरी को उजागर करता है।
राहुल की रणनीति फेल? तेजस्वी भी चिंता में
राहुल गांधी ने महागठबंधन को धार देने की कोशिश की, लेकिन न तो जनता को उनका अभियान खास भाया और न ही कांग्रेस को कोई फायदा मिला। उल्टा, उनकी मौजूदगी तेजस्वी यादव के लिए भी राजनीतिक बोझ बनती दिख रही है। यदि कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा, तो इसका सीधा असर राजद की सीटों पर भी पड़ेगा, जिससे महागठबंधन की ताकत और कमज़ोर हो सकती है।
कांग्रेस के लिए चेतावनी: वक्त रहते रणनीति बदलनी होगी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आए ताज़ा जेवीसी सर्वे ने कांग्रेस की चिंता और गहरी कर दी है। अगर समय रहते पार्टी ने न नेतृत्व स्पष्ट किया, न जमीनी संगठन में सुधार किया — तो बिहार में उसका हाल “श्रृंगार करने के बाद ‘घेघा’ बिगाड़ देने” जैसा ही होगा।