बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। चुनाव आयोग इस महीने उपचुनाव की घोषणा कर सकता है। निर्वाचन विभाग ने 1 अक्टूबर को अंता की फाइनल वोटर लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें कुल 1,136 नए मतदाता जुड़े हैं। यह उपचुनाव राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर दोनों बड़े राजनीतिक दलों—भाजपा और कांग्रेस के लिए।
अंता में उपचुनाव क्यों हो रहा है?
अंता विधानसभा क्षेत्र में 1 जुलाई 2025 को आधार मानकर वोटर लिस्ट अपडेट की गई। जिला निर्वाचन अधिकारी रोहिताश्व सिंह तोमर की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन किया गया। इस बैठक में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे और उन्हें हार्ड कॉपी, सॉफ्ट कॉपी, सीडी एवं पेनड्राइव के माध्यम से वोटर लिस्ट उपलब्ध कराई गई।
वोटर लिस्ट के अनुसार, अब अंता विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,27,563 मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें 1,16,405 पुरुष, 1,11,154 महिला और 4 अन्य मतदाता शामिल हैं। सभी प्राप्त दावे और आपत्तियों का निस्तारण 25 सितंबर तक कर दिया गया।
बीजेपी और कांग्रेस की रणनीति क्या होगी?
अंता उपचुनाव दोनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कंवरलाल मीणा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को करीब 5,000 वोटों से हराया था। कंवरलाल मीणा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं।
बीजेपी इस बार कंवरलाल की पत्नी भगवती मीणा को सहानुभूति कार्ड के तहत या पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी को टिकट दे सकती है। प्रभुलाल सैनी ‘माली’ समाज से आते हैं, जो इस क्षेत्र में बड़ा वोट बैंक है। इसके अलावा स्थानीय नेता आनंद गर्ग भी टिकट के लिए दावेदारी में हैं।
कांग्रेस की ओर से प्रमोद जैन भाया इस सीट के मजबूत दावेदार हैं। उन्होंने 2003, 2008 और 2018 में यह सीट जीती है और दो बार मंत्री भी रहे हैं। हालांकि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों के कारण उनकी पत्नी उर्मिला जैन भाया को टिकट मिलने की चर्चा है, जिससे कांग्रेस महिला वोटरों और सहानुभूति कार्ड का फायदा उठाना चाहती है। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा भी इस चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं।
अंता सीट का सियासी इतिहास
अंता विधानसभा सीट पिछले दो दशकों से राजस्थान की राजनीति में अहम भूमिका निभा रही है। इस क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस ने बारी-बारी से जीत हासिल की है। 2008 और 2018 में प्रमोद जैन भाया ने कांग्रेस के लिए जीत दर्ज की, जबकि 2013 में प्रभुलाल सैनी और 2023 में कंवरलाल मीणा ने बीजेपी की झंडा बुलंद किया। स्थानीय कार्यकर्ता लंबे समय से स्थानीय उम्मीदवारों की मांग कर रहे हैं।
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