राजस्थान में मुफ्त दवा योजना के तहत वितरित खांसी की दवा (Cough Syrup) की गुणवत्ता को लेकर उठे सवालों के बीच चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि हाल ही में भरतपुर और सीकर जिलों में दो बच्चों की मौत के मामलों की जांच रिपोर्ट में साफ हुआ कि इन बच्चों को प्रतिबंधित डेक्स्ट्रोमेथोर्फन कफ सिरप चिकित्सकों ने नहीं लिखी थी।
इस पूरे मामले के सामने आने पर स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने तुरंत जांच के आदेश दिए। इसके बाद आरएमएससीएल ने दवा के वितरण और उपयोग पर रोक लगाकर जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति बनाई। साथ ही दवा के वैधानिक नमूने औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भेज दिए गए।
भरतपुर: खांसी की दवा से बच्चे की तबीयत गंभीर
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा के अनुसार, भरतपुर के कलसाडा निवासी 30 वर्षीय मोनू जोशी 25 सितंबर 2025 को खांसी, जुकाम और बुखार के साथ सीएचसी कलसाडा आए। चिकित्सक ने उन्हें अन्य दवाओं के साथ सिरप डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड लिखी। मोनू ने अपने तीन वर्षीय पुत्र गगन को बिना चिकित्सक की सलाह के यह सिरप दे दी। गगन की तबीयत बिगड़ने पर वे डॉ. अशोक जैन के पास पहुंचे, जिन्होंने उसे जेके लोन जयपुर रेफर किया। 25 सितंबर को दोपहर 2 बजे गगन को जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और 27 सितंबर को स्थिति में सुधार के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
भरतपुर के दूसरे मामले में भी मरीज को पहले ही था निमोनिया
रिपोर्ट में बताया गया है कि भरतपुर में तीन भाई-बहनों को खांसी की दवा पिलाने की घटना सामने आई थी। इनमें से एक बच्चे की मौत की वस्तुस्थिति यह है कि 18 सितंबर 2025 को नन्हा सम्राट उपकेंद्र मलाह में दिखाने आया था, जहां उसे उपकेंद्र स्तर की पीसीएम दवा दी गई थी। यह बच्चा पहले से निमोनिया से ग्रसित था और उसे भरतपुर से जयपुर रेफर किया गया था। सम्राट की मृत्यु 22 सितंबर को हुई।
सीकर मामले में भी डॉक्टर ने दवा नहीं लिखी
सीकर के ग्राम खोरी के नित्यांश की मृत्यु के संबंध में रिपोर्ट के अनुसार, 7 जुलाई 2025 को बच्चे को बुखार-जुकाम की शिकायत पर सीएचसी चिराना, झुंझुनूं में दिखाया गया था। रोगी की पर्ची में डैक्स्ट्रोमेथोर्फन सिरप नहीं लिखी गई थी। माता खूशबू शर्मा ने बताया कि 28 सितंबर 2025 को रात 9 बजे बच्चे को हल्की खांसी हुई, तब उन्होंने घर में रखी डैक्स्ट्रोमेथोर्फन 5 एमएल कफ सिरप दी। 29 सितंबर की सुबह 5 बजे जब माता उठीं तो बच्चा बेसुध था। उसे राजकीय श्री कल्याण अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। इस प्रकार दोनों ही बच्चों की मौत के मामलों में चिकित्सक द्वारा डैक्स्ट्रोमेथोर्फन दवा नहीं लिखी गई थी।
विभाग ने जारी की एडवाइजरी
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही के साथ ही प्रिसक्रिप्शन लिखने में प्रोटोकॉल का पालन करने, रोगियों को प्रिसक्रिप्शन से ही दवा उपलब्ध कराने और बिना चिकित्सकीय परामर्श दवा न लेने के संबंध में एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी चिकित्सक दवा लिखते समय इसे पूरी तरह अपनाएं और बच्चों को दवा देते समय निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करें। साथ ही मरीज बिना चिकित्सक की सलाह दवा का सेवन न करें। निदेशक जनस्वास्थ्य ने बताया कि प्रदेश में मौसमी और अन्य सामान्य बीमारियों से बचाव, उपचार और जानकारी के लिए राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम नंबर 0141-2225624 पर किसी भी समय संपर्क किया जा सकता है।
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