राजस्थान में ATS और ANTF की संयुक्त टीम ने तेलंगाना और ओडिशा से राज्य में बड़े पैमाने पर गांजे की तस्करी करने वाले कुख्यात बजरंग को गिरफ्तार किया है। बजरंग पर 25 हजार रुपये का इनाम था और वह सीकर जिले के फतेहपुर शेखावटी थाने के कांगरा गांव का रहने वाला है। बजरंग ओडिशा-तेलंगाना के मध्य गांजा तस्करी का एक मुख्य सूत्रधार रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गांजा तस्करी से पहले वह देश के लिए मर मिटने वाला सिपाही और NSG कमांडो रहा है। कई बड़े ऑपरेशन कर चुके बजरंग ने बाद में अपराध का रास्ता चुना और गांजा तस्करी का इनामी कुख्यात बन गया।
पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि बजरंग को पकड़ने के लिए ऑपरेशन गांजनेय शुरू किया गया था। उसके खिलाफ 25 हजार रुपये का इनाम रखा गया था। दो महीने के अथक प्रयासों के बाद ATS और ANTF ने बजरंग को गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है।
कुख्यात तस्कर बजरंग का NSG कमांडो सफर
6 फीट लंबे और पहलवानी कद-काठी के बजरंग का 10वीं के बाद पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था, लेकिन उसने BSF में सिपाही के पद पर भर्ती पाई। BSF में रहते हुए उसने पंजाब, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान में देश की सीमाओं की सुरक्षा की और नक्सलवाद से जूझते हुए अदम्य कर्तव्य निभाया। अपनी कदकाठी और प्रदर्शन के चलते बजरंग अधिकारियों की निगाह में आया और आतंकवाद से निपटने वाली शीर्ष NSG कमांडो टीम में चयनित हुआ, जहां उसने 7 साल तक कमांडो के रूप में सेवा दी।
सेना से निकलने के बाद राजनीति में आजमाया हाथ
2021 में अर्द्धसैन्य सेवाबलों से सेवानिवृत्त होकर जब बजरंग सिंह अपने गांव लौटे, तो उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाग उठी। उन्होंने एक राष्ट्रीय दल की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी पत्नी को प्रधानी के चुनाव में उतारा, लेकिन चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। इस दौरान आपसी दुश्मनी और अपराधिक दुनिया के लोगों से घनिष्ठ संबंध भी स्थापित हो गए।
बजरंग के एक घनिष्ठ सहयोगी ने उसे तेलंगाना से गांजे की तस्करी से होने वाले आर्थिक लाभ और सफलता की कहानियों से अवगत कराया। नौकरी के दौरान ओडिशा के क्षेत्र की जानकारी और कमांडो रहने के अनुभव से उसकी हिम्मत भी मजबूत थी। पुराने संपर्क सूत्रों और कुछ दोस्तों के साथ उसने दो-तीन साल में ही धंधे का दुर्दांत सरगना बन सफलता की सीढ़ियां चढ़ी।
बड़ी खेपों का सरताज था बजरंग
कमांडो रह चुके निडर बजरंग को हमेशा बड़े काम करने का शौक रहा। जब वह गांजा तस्करी के धंधे में आया, तो उसने छोटे खेलों से संतोष नहीं किया और क्विंटल स्तर की तस्करी अपने कंधों पर संभाल ली। उस पर कई मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें सीकर मामले में उसके पास से कई क्विंटल गांजा बरामद हुआ। 2023 में तेलंगाना के हैदराबाद के पास 2 क्विंटल गांजा तस्करी के मामले में उसे गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन उसने अपना रास्ता नहीं बदला।
ATS-ANTF की बड़ी सफलता: बजरंग गिरफ्तार
ANTF पिछले दो महीने से गांजा तस्करी के मुख्य सूत्रधारों की तलाश कर रही थी। लंबी तहकीकात के बाद बजरंग सिंह का नाम सामने आया, लेकिन वह इतना शातिर और चालाक था कि अपनी पहचान छुपा रखा था। बजरंग मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी नहीं करता था और स्थानीय सहयोगियों पर भरोसा नहीं करता था, जिससे उसका सुराग मिलना मुश्किल था।
हालांकि, उसके पुराने सहयोगी और बाद में कट्टर दुश्मन रहे शख्स ने बजरंग के बारे में महत्वपूर्ण सुराग दिया। बताया गया कि बजरंग हमेशा अपने साथ एक विश्वस्त उड़िया कुक रखता था। तकनीकी जांच से कुक के रिश्तेदारों के संपर्क सूत्र मिले और उनका विश्लेषण करने पर शक चूरू जिले के रतनगढ़ में अटक गया।
करीब एक सप्ताह की कड़ी मेहनत के बाद ATS और ANTF ने रतनगढ़ में बजरंग के संभावित 2-3 ठिकानों की जांच की। फिर दो दिन पहले, बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार बजरंग को टीम ने देखा और उसके गुप्त ठिकानों का सुराग पाया। कमांडो रहे बजरंग पर हाथ डालना खतरनाक माना जा रहा था, लेकिन पूरी तैयारी और योजना के बाद टीम ने अचानक धावा देकर कुख्यात बजरंग सिंह को गिरफ्तार कर सफलता हासिल की।
यह भी पढ़ेंः- राजस्थान कफ सिरप विवाद: दो बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर-फार्मासिस्ट निलंबित, जांच जारी