हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामलों में प्रदेश के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को केन्द्रीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो एसीबी को केन्द्रीय कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करने और जांच करने से रोकता हो। इसलिए एसीबी को केन्द्रीय कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करने और जांच के बाद चालान पेश करने का अधिकार है।
इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने इस प्रकार के मामलों में पहले लगी रोक को भी हटा दिया है और आगे की सुनवाई के लिए मामले को नियमित बेंच को सौंप दिया है। न्यायाधीश सुदेश बंसल ने मुकेश सिंह एवं अन्य की आपराधिक विविध याचिकाओं पर यह आदेश सुनाया।
इससे पहले, केन्द्रीय कर्मचारियों ने एसीबी की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि भ्रष्टाचार मामलों में केवल सीबीआई के पास ही केन्द्रीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का विशेष अधिकार है और बिना सीबीआई की मंजूरी के एसीबी जांच नहीं कर सकती। लेकिन कोर्ट ने इस विधिक प्रश्न को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यदि केन्द्र सरकार का कर्मचारी या केन्द्र सरकार के अधीन व्यक्ति राजस्थान के क्षेत्राधिकार में कोई भ्रष्टाचार का अपराध करता है, तो एसीबी उस पर केस दर्ज कर सकती है और जांच आगे बढ़ा सकती है।
इस फैसले से एसीबी की कार्रवाई को कानूनी बल मिला है और यह साफ हो गया कि सीबीआई को भ्रष्टाचार मामलों में विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है, बल्कि राज्य की एसीबी भी केन्द्रीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।