जयपुर के जमवारामगढ़ में वनकर्मियों की कथित पिटाई से आहत होकर आत्महत्या करने वाले विक्रम मीणा प्रकरण में तीन दिनों से चल रहा गतिरोध शनिवार को समाप्त हो गया। मृतक के परिजनों और समाज के नेताओं की प्रशासन के साथ लंबी बातचीत के बाद एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ, जिसके बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने पर सहमति जता दी। आंदोलन की अगुवाई कर रहे नरेश मीणा और पूर्व विधायक गोपाल मीणा सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में हुई बैठक में प्रशासन ने परिजनों की अधिकांश मांगों को मान लिया।
क्या था मामला?
घटना की शुरुआत तब हुई जब विक्रम मीणा की बकरियां वन क्षेत्र में घुस गईं। मृतक के भाई विनोद मीणा का आरोप है कि वनकर्मियों ने विक्रम से मारपीट की और ₹1100 का चालान वसूला। इस दौरान विक्रम की पत्नी से भी दुव्यवहार किया गया। जब विक्रम ने रायसर थाने में शिकायत करने की कोशिश की, तो पुलिस ने उसकी बात नहीं सुनी।
थाने से निकलने के कुछ देर बाद विक्रम ने पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल कर आत्महत्या करने की सूचना दी और बाद में उसका शव पेड़ से लटका मिला। इसके बाद जमवारामगढ़ क्षेत्र में तनाव फैल गया और परिजनों ने तीन दिन तक शव नहीं उठाया, न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
तनाव खत्म, अंतिम संस्कार शुरू
तीन दिनों तक चले इस प्रदर्शन के बाद अब हालात सामान्य हो गए हैं। नरेश मीणा ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा करते हुए कहा कि, “परिवार की मांगें जायज़ थीं और प्रशासन ने उन्हें मानते हुए समझदारी दिखाई है।” अब रायसर थाना क्षेत्र में शांति बहाल हो गई है और परिजनों ने विक्रम मीणा के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सहमति की प्रमुख शर्तें:
- प्रशासन द्वारा आर्थिक सहायता: ₹21 लाख
- नरेश मीणा की ओर से: ₹1 लाख
- NSUI अध्यक्ष राकेश मीणा द्वारा: ₹1 लाख
- पूर्व विधायक गोपाल मीणा की टीम से: ₹1.5 लाख
- परिवार के एक सदस्य को संविदा नौकरी दी जाएगी।
- परिवार को ₹1200 मासिक पेंशन दी जाएगी।
- विक्रम मीणा के बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक ₹1500 प्रति माह की शैक्षिक व भरण-पोषण सहायता दी जाएगी।