Cheap Electricity : जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा बिजली की प्रति यूनिट दरों में की गई मामूली कटौती ने जहां आम घरेलू उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत दी है, वहीं स्थायी शुल्क में भारी बढ़ोतरी ने उद्योग जगत को गहरा झटका दिया है। उद्योगों के लिए यह फैसला राहत से ज़्यादा सज़ा जैसा साबित हो रहा है। विशेषज्ञों और औद्योगिक संगठनों का कहना है कि यह कदम महज आंखों में धूल झोंकने जैसा है, क्योंकि बिजली की यूनिट दर भले ही कुछ स्लैब में घटाई गई हो, लेकिन स्थायी शुल्क में हुई अभूतपूर्व वृद्धि ने इसका कोई लाभ नहीं होने दिया।
मध्यम और लघु उद्योगों पर सबसे ज्यादा असर
नए टैरिफ ऑर्डर आदेशों के मुताबिक, मध्यम और लघु उद्योगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। पहले से ही आर्थिक दबाव और प्रतिस्पर्धा से जूझ रहे इन उद्योगों के लिए अब बिजली बिल में अचानक उछाल ने संकट बढ़ा दिया है।
बड़े उद्योगों पर करोड़ों का अतिरिक्त भार
बिजली की उच्च खपत वाले बड़े उद्योगों के लिए यह फैसला और भी नुकसानदेह साबित हो रहा है। स्थायी शुल्क में तेज़ वृद्धि के चलते इन पर हर महीने करोड़ों रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ने का अनुमान है। एक प्रमुख उद्योगपति ने कहा, “सरकार ने यूनिट दर में मामूली कटौती कर स्थायी शुल्क में बड़ा इजाफा कर दिया है। यह सीधा राजस्व वसूली का तरीका है, जिससे हमारी लागत बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धा में हम और पीछे हो जाएंगे।”
ग्रीन एनर्जी को भी झटका
विद्युत विनियामक आयोग के नए आदेशों के तहत 50% से अधिक उपयोग पर मिलने वाली ₹0.96 प्रति यूनिट की छूट समाप्त कर दी गई है। बिजली दर में ₹0.20 प्रति यूनिट और स्थायी शुल्क में ₹0.08 प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है। रेगुलेटरी सरचार्ज के रूप में ₹1.00 प्रति यूनिट का नया टैक्स लगाया गया है। 132 केवी स्तर के औद्योगिक उपभोक्ताओं पर अब लगभग ₹1.25 प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार पड़ेगा। इतना ही नहीं, पैरेलल ऑपरेशन चार्ज के रूप में ₹1.19 लाख प्रति मेगावाट प्रति माह लागू किया गया है, जिसे उद्योगों ने अप्रत्याशित और असहनीय बताया है।
उद्योग जगत ने जताई नाराजगी, पुनर्विचार की मांग
राज्यभर के उद्योग संगठनों और फैक्टरी मालिकों ने सरकार से नई दरों पर फिर से विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो न केवल उत्पादन प्रभावित होगा, बल्कि राज्य में औद्योगिक निवेश और रोजगार पर भी इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।
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