बांसवाड़ा जिले में लगभग 700 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित मैंगनीज खनन परियोजना का सपना अधर में लटक गया है। खनिज विभाग ने टेंडर लेने वाली कंपनी की लापरवाही के कारण न केवल परियोजना रद्द कर दी है, बल्कि कंपनी द्वारा जमा की गई 9.5 करोड़ रुपए की गारंटी राशि भी जब्त कर ली है। इस फैसले से इलाके के लगभग 10,000 आदिवासी युवाओं के संभावित रोजगार के अवसर प्रभावित हुए हैं। जिन दो ब्लॉकों में खनन होना था, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है और स्थानीय लोगों की उम्मीदें धुंधली हो गई हैं।
खनिज विभाग अब नए सिरे से नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। जिले में मैंगनीज के विशाल भंडार मौजूद हैं, जिस कारण इस खनन परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों में काफी उत्साह था। उन्हें उम्मीद थी कि खनन शुरू होने से क्षेत्र की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और आदिवासी युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा।
टेंडर की शर्तें पूरी न होने से हुआ नुकसान
टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी ने करोड़ों रुपए की गारंटी राशि जमा कर परियोजना को आगे बढ़ाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन कंपनी ने माइनिंग लाइसेंस (एमएल) की जरूरी शर्तें पूरी नहीं कीं। विभाग ने 30 दिन के भीतर कार्य पूरा करने को कहा था, लेकिन 150 दिन से अधिक समय बीत जाने के बावजूद कंपनी ने शर्तों का पालन नहीं किया।
सूत्रों के अनुसार, कंपनी को पर्यावरणीय स्वीकृतियां, खनन पट्टा दस्तावेज और अन्य औपचारिकताएं समय पर पूरी करनी थीं। विभाग ने कई बार नोटिस जारी किए, लेकिन कंपनी की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसी कारण विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए टेंडर निरस्त कर दिया।
दो ब्लॉक हुए थे नीलाम
रूपाखेड़ा क्षेत्र में 473.5 हेक्टेयर और तांबेसरा क्षेत्र में 241 हेक्टेयर क्षेत्रफल के दो ब्लॉक नीलाम किए गए थे। अब विभाग इन ब्लॉकों की नीलामी नई शर्तों के साथ फिर से शुरू करेगा। संभावना है कि ब्लॉकों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर लघु कंपनियों को भी इसमें भाग लेने का मौका दिया जाएगा।
सरकार को भेजी विस्तृत रिपोर्ट
खनिज विभाग ने इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेज दी है। आगे की कार्रवाई मुख्यालय से की जाएगी।
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