Anta by-election : बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की अधिसूचना जारी होते ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कांग्रेस ने पहले ही अपने दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतार दिया है, जबकि नरेश मीणा ने बगावती अंदाज में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं, बीजेपी अभी तक अपने उम्मीदवार का चयन नहीं कर पाई है।
बीजेपी को फिर से मुसीबत?
बीजेपी कार्यकर्ताओं एवं मतदाताओं की मांग है कि अब पुराने सिलसिले को तोड़ते हुए पार्टी बाहरी उम्मीदवार नहीं उतारे, बल्कि स्थानीय प्रतिनिधि ही मैदान में उतरें। 2008 में अंता सीट का गठन हुआ जो सामान्य वर्ग की सीट है। इस सीट के गठन के बाद कांग्रेस ने हर चुनाव में प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारा जो सामान्य वर्ग से हैं और बारां जिले के ही निवासी हैं।
भाया ने चार चुनावों में से दो जीत और दो हार का सामना किया है। वहीं, बीजेपी ने इस सीट पर अब तक चारों बार बाहरी प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। इनमें से केवल रघुवीर सिंह कौशल ही सामान्य वर्ग के थे, जो 2008 में पार्टी के दिग्गज नेता के रूप में चुनाव लड़े लेकिन हार गए। बाकी दो बार बीजेपी ने ओबीसी वर्ग और एक बार एसटी वर्ग के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। इस वजह से बीजेपी के कार्यकर्ताओं और अन्य वर्गों में नाराजगी बढ़ी है। रघुवीर सिंह कौशल कोटा जिले के रहने वाले थे।
बीजेपी की पिछली रणनीति और उसका बड़ा जोखिम
| वर्ष | प्रत्याशी | समाज / वर्ग | स्थानीय या बाहरी | |
| 2008 | रघुवीर सिंह कौशल | सामान्य | बाहरी | |
| 2013 | प्रभुलाल सैनी | OBC | बाहरी | |
| 2018 | प्रभुलाल सैनी | OBC | बाहरी | |
| 2023 | कंवरलाल मीणा | ST | बाहरी |
कहां बनेगी खाई?
- कांग्रेस ने स्थानीय, सामान्य वर्ग के नेता को उतारा है — जिसे वहाँ की पहचान है।
- बागी स्वरूप में निर्दलीय नरेश मीणा भी स्थानीय हैं (नया गांव, अटरू तहसील, बारां) और उनका नामांकन इस मांग को और मज़बूत करता है।
- अगर बीजेपी इस बार भी बाहरी या किसी वर्ग विशेष के उम्मीदवार को खड़ा करती है, तो उसे कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।




