उत्तराखंड के धाराली इलाके में आई भयानक आपदा में लापता हुए कोटपूतली-बहरोड़ जिले के भौनावास निवासी अग्निवीर भीम सिंह शेखावत का शव 68 दिन बाद सेना की मदद से मिला। डीएनए जांच के बाद उनका पहचाना गया और परिजनों को इस दुखद खबर की जानकारी दी गई। मंगलवार को भीम सिंह को अंतिम सलामी दी गई और उनके परिवार ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
जानकारी के अनुसार, 19 वर्षीय भीम सिंह 28 अक्टूबर 2024 को राजपूताना राइफल्स में अग्निवीर के रूप में शामिल हुए थे। यह उनकी पहली पोस्टिंग थी। हर्षिल स्थित आर्मी कैंट के पास बादल फटने के बाद वे लापता हो गए। सेना ने लगातार उनकी खोज जारी रखी और लंबे इंतजार के बाद उनका शव बरामद हुआ। भीम सिंह की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी हुई उनके गांव भौनावास पहुंची, जहां परिजनों और ग्रामीणों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
7 किलोमीटर तक उमड़ा सैलाब
मंगलवार सुबह अग्निवीर भीम सिंह का पार्थिव शरीर प्रागपुरा थाने लाया गया। इसके बाद उनके पैतृक गांव भौनावास तक लगभग 7 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। इस दौरान ग्रामीणों और युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। रास्ते भर ‘भीम सिंह अमर रहें’ और ‘भारत माता की जय’ के जयकारे गूंजते रहे, हर कोई उनकी शहादत को सलाम कर रहा था।
छुट्टी की बात के बाद नहीं हो पाया संपर्क
शहीद के बड़े भाई कंवरपाल सिंह (23) ने बताया कि आखिरी बार उन्होंने 4 अगस्त को भीम से बात की थी। भीम ने उस दिन कहा था कि छुट्टी मिलते ही वह घर आएगा और घर की मरम्मत करवाएगा।
5 अगस्त को हादसे की खबर मिलने के बाद परिवार ने भीम से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। 7 अगस्त की आधी रात को उनके कमांडिंग ऑफिसर का फोन आया और बताया गया कि भीम सिंह समेत 8 जवानों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। सेना की टीम लगातार उनकी तलाश में लगी रही। आखिरकार रविवार को कमांडिंग ऑफिसर ने भीम की शहादत की आधिकारिक सूचना परिवार को दी।
सांसद की बिगड़ी तबीयत
अंतिम यात्रा के दौरान जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेंद्र सिंह की अचानक तबीयत बिगड़ गई और वे कुछ समय के लिए अचेत हो गए। उन्हें तुरंत पावटा उप जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद दोपहर 1:30 बजे उन्हें छुट्टी दे दी गई।


