सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने मंगलवार को टीएन गोदावर्मन मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें जयपुर स्थित राजस्थान मंडपम और एकता मॉल परियोजना को रोकने तथा संबंधित भूमि को वन भूमि घोषित करने की मांग की गई थी।
यह याचिका IA No. 231707 of 2025 in W.P. (C) No. 202 of 1995 के तहत दाखिल की गई थी, जिसमें यह दावा किया गया था कि जयपुर के तहसील सांगानेर स्थित डोल का बाड़ क्षेत्र में प्रस्तावित परियोजना स्थल वन भूमि है और इसे वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अंतर्गत संरक्षण मिलना चाहिए। राजस्थान सरकार और रीको (RIICO) ने सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह भूमि वर्ष 1979 में औद्योगिक प्रयोजन के लिए अधिग्रहित की गई थी, जिसे पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराया जा चुका है और यह भूमि 1991, 2011 और 2025 के मास्टर प्लान में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में दर्ज है।
56 पेड़ों के बदले 560 नए पौधे लगाए गए
राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने अदालत को बताया कि इसी मुद्दे पर पूर्व में भी याचिकाएं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और राजस्थान हाईकोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं, जिन्हें खारिज किया गया और हाईकोर्ट ने तथ्यों को छुपाने के आरोप में याचिकाकर्ताओं पर ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया था। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि परियोजना स्थल पर कोई पेड़ नहीं काटे गए हैं, केवल 56 पेड़ों को वैध अनुमति लेकर प्रत्यारोपित किया गया है और उनकी संख्या से दस गुना अधिक पौधों का प्रतिपूरक वृक्षारोपण किया जा चुका है।
95 एकड़ RIICO भूमि पर बनेंगी बड़ी परियोजनाएं
प्रस्तावित परियोजनाओं में एकता मॉल, जो ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ योजना का हिस्सा है, राजस्थान मंडपम, ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, आईटी टॉवर, फाइव स्टार और फोर स्टार होटल्स तथा रिहायशी टावर्स शामिल हैं, जिन्हें राज्य मंत्रिमंडल ने 95 एकड़ रीको भूमि पर मंजूरी दी है। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परियोजना स्थल को वन भूमि घोषित करने का कोई आधार नहीं है और याचिका में प्रस्तुत दलीलों में कोई विधिक औचित्य नहीं है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।


