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Wednesday, October 29, 2025

‘ताज’ किसके सिर? एक सीट, तीन दावेदार और चार जातियों की चाल; अंता में अब इन्हीं के वोट से तय होगी सत्ता की चाबी!

OP-ED‘ताज’ किसके सिर? एक सीट, तीन दावेदार और चार जातियों की चाल; अंता में अब इन्हीं के वोट से तय होगी सत्ता की चाबी!

Anta Assembly By-Election 2025:  जयपुर। साल 2008 में परिसीमन के बाद बनी अंता विधानसभा सीट पर इस बार का उपचुनाव बेहद दिलचस्प मोड़ ले चुका है। इतिहास में पहली बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां जातिगत समीकरण ही जीत-हार तय करेंगे। सवा दो लाख से अधिक मतदाताओं वाली इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच जबरदस्त टक्कर बन गई है।

जाति ही तय करेगी जीत का गणित

  • माली समाज लगभग 40,000 मतदाता

  • अनुसूचित जाति (SC): करीब 35,000 मतदाता

  • मीणा समाज करीब 32,000 वोटर

  • मुस्लिम मतदाता 20,000 से 25,000 के बीच

इसके अलावा ब्राह्मण, धाकड़, बनिया और राजपूत समाज के भी वोट निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में किसी भी प्रत्याशी की जीत जातीय गठजोड़ पर निर्भर है।

कौन किस जाति पर दांव लगा रहा है?

  • BJP प्रत्याशी मोरपाल सुमन – माली समाज से आते हैं, वर्तमान में बारां पंचायत समिति के प्रधान हैं। बीजेपी ने माली वोट बैंक को साधने के लिए इन्हें चुना है।

  • कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया – पूर्व मंत्री रह चुके हैं, अनुभवी और पुराने कार्यकर्ता। पार्टी की रणनीति एससी, मुस्लिम और मीणा वोटों को साधने की है।

  • निर्दलीय नरेश मीणा – कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर मैदान में उतरे, मीणा समाज के वोटों पर फोकस। बीजेपी और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

क्यों है मुकाबला कांटे का?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कोई भी जाति अकेले जीत नहीं दिला सकती। जातीय गठजोड़, स्थानीय समीकरण और प्रत्याशी की साख – तीनों मिलकर परिणाम तय करेंगे। खासकर नरेश मीणा का निर्दलीय उतरना, कांग्रेस-बीजेपी दोनों के लिए चुनौती बन गया है।

बीजेपी बनाम कांग्रेस बनाम अंदरूनी सेंधमारी

बीजेपी को माली और शहरी वोटरों का पारंपरिक समर्थन मिलता रहा है। वहीं कांग्रेस का झुकाव मीणा, एससी और मुस्लिम समुदाय की ओर रहा है। नरेश मीणा इन दोनों दलों के वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय और बेहद करीबी हो गया है।

यह भी पढ़ें: अंता उपचुनाव: चेहरा नया, दांव पुराना — क्या राजे फिर साबित कर पाएंगी अपना असर?

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