Jaisalmer Bus Fire Incident: जैसलमेर में हुए भयानक बस अग्निकांड की जांच रिपोर्ट में कई गंभीर खुलासे सामने आए हैं। रिपोर्ट में आरटीओ अफसरों और बस कोच बनाने वालों की मिलीभगत उजागर हुई है। मिलीभगत के चलते कई बसों के निर्माण और रजिस्ट्रेशन में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई।
फर्जी रजिस्ट्रेशन और सुरक्षा उल्लंघन
जांच में पता चला कि जोधपुर के जैनम क्राफ्ट कोच वर्कशॉप और जैन ट्रैवल्स की 66 बसों की चेसिस नंबर की जांच की गई, जिसमें 26 बसों का बिना बॉडी बने ही रजिस्ट्रेशन कर दिया गया। इन बसों का रजिस्ट्रेशन विभिन्न राज्यों में हुआ। 10 बसें अरुणाचल प्रदेश, 5 बिहार, 4 नागालैंड, 2 असम और 5 राजस्थान में।
जिन राजस्थान में रजिस्ट्रेशन की गई पांच बसों में से तीन का सत्यापन आरटीओ इंस्पेक्टर ने बिना बॉडी बनाए ही कर दिया था। ये बसें जोधपुर, बीकानेर, चितौड़गढ़ और सीकर आरटीओ रीजन में रजिस्टर्ड थीं। जांच रिपोर्ट में सामने आए खुलासों के बाद सरकार इन बसों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने पर विचार कर रही है।
हादसे वाली बस और एसी मॉडिफिकेशन
जैसलमेर हादसे में आग लगी बस की बॉडी जैनम क्राफ्ट वर्कशॉप में बनी थी और मालिक मनीष जैन थे। हादसे के बाद परिवहन विभाग ने इस वर्कशॉप की सभी 66 बसों को जब्त कर लिया।
जांच में यह भी पता चला कि हादसे वाली बस का रजिस्ट्रेशन नॉन-एसी बस के रूप में हुआ था, लेकिन बाद में इसमें एसी लगाया गया। एसी लगाने से बस में बिजली का लोड बढ़ गया, जिससे आग लगने का खतरा और बढ़ गया।
इमरजेंसी गेट ब्लॉक और सुरक्षा उल्लंघन
हादसे वाली बस में इमरजेंसी गेट के सामने दो सीटें लगाई गईं, जिससे इमरजेंसी के रास्ते बंद हो गए थे। इसके अलावा अतिरिक्त सीटें लगाकर बस का आकार निर्धारित मानकों के उल्टा बढ़ा दिया गया। इससे यात्रियों की सुरक्षा गंभीर रूप से खतरे में पड़ गई।
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