Rajasthan Panchayat Chunav 2025: राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकाय चुनावों की तैयारियां इस बार बड़ी अड़चन में फंसती नज़र आ रही हैं। राज्य निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ओबीसी (OBC) आरक्षण निर्धारण को लेकर सामने आई है। दरअसल, ओबीसी आयोग (पिछड़ा वर्ग आयोग) मैन पावर, फंड और विभागीय सहयोग के अभाव में अपना सर्वे कार्य शुरू ही नहीं कर पा रहा है। आयोग की रिपोर्ट में हो रही देरी से संभावना जताई जा रही है कि पंचायत और निकाय चुनावों की तारीखें आगे बढ़ सकती हैं।
BLO की सेवाओं पर लगी रोक
ओबीसी आयोग सर्वे के लिए बीएलओ (BLO) की सेवाएं लेना चाहता था, लेकिन चुनाव आयोग ने बिना अनुमति किसी भी बीएलओ को अन्य कार्य में लगाने से मना कर दिया है। इस पाबंदी के कारण आयोग का सर्वेक्षण कार्य अधर में लटक गया है।
आधे जिलों से नहीं मिल रहा सहयोग
सूत्रों के अनुसार, निकायों और पंचायतों में ओबीसी सीटों के निर्धारण के लिए गठित आयोग को राज्य के लगभग आधे जिलों से सर्वे कर्मियों का डेटा तक नहीं मिल पाया है। परिसीमन आधारित अधिसूचनाएं जारी न होने से कई जगह सर्वे की प्रक्रिया रुकी हुई है।
बजट और वाहनों की भारी कमी
आयोग ने सर्वे की कागजी तैयारी तो पूरी कर ली है, लेकिन फील्ड विजिट के लिए वाहनों की कमी और बजट की देरी बड़ी समस्या बनी हुई है। बताया जा रहा है कि आयोग को बजट किस्तों में मिल रहा है, जिससे कई महीनों से अध्यक्ष और सदस्यों का मानदेय तक समय पर नहीं मिल पा रहा।
आधे जिलों में नहीं हुई नोडल अधिकारियों की नियुक्ति
ओबीसी सीट निर्धारण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित आयोग ने बीते महीने सभी जिलों को सर्वे फॉर्म भेजे थे, लेकिन करीब आधे जिलों से अभी तक नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जानकारी नहीं आई है। इससे आयोग की रिपोर्ट तैयार करने का काम ठप पड़ा हुआ है।
कॉलेज छात्रों से मदद लेने पर विचार
मैन पावर की कमी को देखते हुए आयोग अब नए विकल्पों पर विचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग NSS और NCC से जुड़े कॉलेज छात्रों की मदद लेने की योजना बना रहा है। छात्रों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी कॉलेज व्याख्याताओं को दी जा सकती है। जल्द ही इस पर निर्णय लेकर सर्वे कार्य को गति देने की तैयारी है ताकि रिपोर्ट समय पर सरकार को सौंपी जा सके।
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