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Wednesday, October 29, 2025

स्कूल भवन की जर्जर हालत पर मंत्री से लेकर कोर्ट तक, सरकार बुरी तरह घिरी! झालावाड़ हादसे से सबक क्या लिया?

OP-EDस्कूल भवन की जर्जर हालत पर मंत्री से लेकर कोर्ट तक, सरकार बुरी तरह घिरी! झालावाड़ हादसे से सबक क्या लिया?

Jhalawar School Collapse: झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद शिक्षा व्यवस्था से लेकर राजनीतिक जवाबदेही सबकुछ सवालों के घेरे में हैं. अगर राजस्थान हाईकोर्ट की कार्यवाही की विवेचना करेंगे तो पाएंगे कि सरकारी स्कूलों के प्रति सरकारें कितनी असवंदेनशील रही हैं. अब तो खुद मंत्री हीरालाल नागर ने ही सरकारी स्कूलों के निर्माण-गुणवत्ता पर सार्वजनिक सवाल उठाए हैं और स्वतंत्र जांच की मांग की है. इसे शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने विभागीय कमियां स्वीकारते हुए यह भीक कहा कि संयुक्त जिम्मेदारी जरूरी है, जांचें शुरू हो गई हैं, दोषियों पर कार्रवाई का वादा है. लेकिन अभी भी कोई दीर्घकालिक नीति या सख्त तंत्र ज़मीन पर नहीं दिखता. मंत्रालय और अफसरशाही एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर आगे बढ़ रहे हैं.

पहले जमीनी सच्चाई के बारे में जानिए

झालावाड़ के सरकारी स्कूल की बिल्डिंग गिरने की घटना ने पूरे प्रदेश की शिक्षा की बुनियाद और सरकारी जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. हादसे के बाद सरकारी दावों, बजट और ‘कागजों पर विकास’ की असलियत उजागर हो गई. जमीनी हकीकत यह है कि थोक में बजट आवंटन की घोषणा, एप्रूवल, टेंडरिंग सब होते हैं. लेकिन कागजों पर लिखी विकास की इबारत को हकीकत में उतार पाना काफी मुश्किल होता है. इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट भी सख्त टिप्पणी कर चुका है कि काम कागज पर नहीं, जमीन पर होना चाहिए.

झालावाड़ स्कूल हादसा की जिम्मेदारी किसकी और कहां हुई चूक? जानें सबकुछ | Who is responsible for Jhalawar school accident School building collapse

राजस्थान में फिलहाल 5,500 से ज्यादा सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिन्हें गंभीर जर्जर घोषित किया जा चुका है. राज्यभर के 63 हजार स्कूल भवनों के सर्वे में 9% स्कूल खतरे की सूची में बताए गए. इनमें कई सौ स्कूल ऐसे हैं जिनकी छतें या दीवारें बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं.

एक बार फिर वादा, मार्च-2026 तक सुधरेगी तस्वीर?

सरकार ने 2,000 से अधिक स्कूल भवनों की ‘मेजर रिपेयरिंग’ के लिए 175 करोड़ रुपये का बजट दिया है. साथ ही अगले फेज के लिए 7,500 स्कूलों पर 150 करोड़ रुपये अलग से देने का एलान है. सवाल यही है कि – क्या 5 लाख या 8 लाख रुपये में किसी जर्जर स्कूल का रियल रिपेयर हो सकता है? हाईकोर्ट ने भी इस पर तीखी टिप्पणी की है कि सरकारी दस्तावेज़, धरातल और बच्चों की हकीकत से बिलकुल कटे हैं.

Jhalawar School Accident: झालावाड़ स्कूल हादसे को लेकर सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट, शिक्षा विभाग ने पल्ला झाड़ा | Patrika News | हिन्दी न्यूज

इंजीनियरिंग कैडर ही नहीं, निर्माण कार्य किसके भरोसे?

स्कूल भवन निर्माण व मरम्मत के लिए राजस्थान सरकार के पास खुद का इंजीनियरिंग कैडर नहीं है. विभाग को अक्सर PWD, डेपुटेशन या अस्थायी ठेकेदारों पर निर्भर रहना पड़ता है. अब हालात ऐसे हैं कि शिक्षक या प्रयोगशाला सहायक जिनके पास BE (इंजीनियरिंग डिग्री) है , उनसे सुपरविजन करवाने की बात हो रही है. नतीजा- क्वालिटी कंट्रोल और तकनीकी जवाबदेही लगभग शून्य.

अब जरूरत है इस और ध्यान देने की

  • स्कूल भवनों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण निर्माण के लिए तत्काल स्वतंत्र व तकनीकी ऑडिट एजेंसी की जरूरत है.
  • जब तक शिक्षा विभाग में खुद का इंजीनियरिंग कैडर, क्वालिटी सुपरविजन और रीयल टाइम ऑडिट लागू नहीं होगा, तब तक बच्चों की जान खतरे में रहेगी.
  • राजस्थान के लाखों बच्चों की जिंदगी इस अदूरदर्शिता की भेंट नहीं चढ़नी चाहिए. जवाबदेही तय होनी चाहिए और धरातल पर ‘असली सुधार’ दिखना चाहिए.

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