बीसलपुर बांध, जिसे जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों की जीवनरेखा माना जाता है, पिछले दो दशकों से करोड़ों लोगों की प्यास बुझा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, बांध में पर्याप्त जल भंडार होने के कारण अगले तीन से चार साल तक सामान्य मानसून की स्थिति में भी जलापूर्ति सुचारू बनी रहेगी।
इस साल का मानसून बीसलपुर बांध के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है — 2004 के बाद पहली बार जुलाई में गेट खोले गए। ठीक 21 साल बाद, 24 जुलाई 2025 को बांध के गेट खोलकर पानी छोड़ा गया।
नवंबर में होगी पानी की निकासी
नवंबर महीने में बीसलपुर बांध से पानी की निकासी का एक नया रिकॉर्ड बनने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, पिछले 90 दिनों में बांध से 130 टीएमसी से अधिक पानी बनास नदी में छोड़ा जा चुका है।
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आगामी 10 से 15 दिनों तक पानी की आवक बनी रहने की उम्मीद है, जिसके चलते निकासी की प्रक्रिया जारी रह सकती है।
24 जुलाई को खोला गया था गेट
बीसलपुर बांध का गेट 24 जुलाई को खोला गया था। करीब 89 दिन तक लगातार पानी की निकासी के बाद 21 अक्टूबर को गेट बंद कर दिए गए थे। हालांकि, हाल ही में हुई बेमौसम बारिश से बांध में दोबारा पानी की आवक बढ़ने पर मंगलवार को फिर से एक गेट खोला गया।
शुरुआत में 3 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसे बाद में बढ़ाकर 12,020 क्यूसेक किया गया। यह निकासी बुधवार को भी जारी रही। फिलहाल त्रिवेणी बनास और अन्य सहायक नदियों से बांध में लगातार पानी पहुंच रहा है। बुधवार सुबह त्रिवेणी बनास नदी का गेज स्तर 3.70 मीटर दर्ज किया गया।

तीन जिलों में होती है पानी की सप्लाई
बीसलपुर बांध से हर दिन टोंक, जयपुर और अजमेर जिले के लाखों लोगों को पेयजल आपूर्ति की जा रही है। औसतन करीब 1000 MLD पानी की खपत होती है, जिससे सामान्य तौर पर बांध का जलस्तर एक से डेढ़ सेंटीमीटर तक कम होना चाहिए।
लेकिन अक्टूबर के अंत तक भी बांध का जलस्तर 315.50 मीटर तक बना हुआ है। जलग्रहण क्षेत्रों में हुई बारिश से पानी की लगातार आवक के चलते एक गेट खोलकर निकासी जारी रखी गई है।
बारिश सामान्य होने पर भी पानी की कमी नहीं होगी
ऐसे हालातों में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार बीसलपुर बांध पिछले साल की तुलना में अगले मानसून सीजन तक कम खाली होगा। इससे पेयजल और सिंचाई दोनों के लिए पानी की कोई कमी नहीं रहेगी।
बीसलपुर बांध परियोजना के एक्सईएन मनीष बंसल ने बताया कि नवंबर के मध्य तक बांध का जलस्तर लगभग 315.50 मीटर तक स्थिर रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मौजूदा जलस्तर को देखते हुए, अगले मानसून तक बांध में पर्याप्त जल भंडारण बना रहेगा।
90 दिनों तक खुले रहे बांध के गेट
बीसलपुर बांध के जलस्तर के बढ़ने पर 24 जुलाई को इसका पहला गेट खोला गया था। इसके बाद पानी की आवक बढ़ने पर कुल आठ गेट खोले गए। जब जलस्तर स्थिर होने लगा, तो धीरे-धीरे सभी गेट बंद कर दिए गए और सिर्फ एक गेट खुला रखा गया।
बाद में पानी की आवक घटने पर करीब 90 दिन बाद इस अंतिम गेट को भी बंद कर दिया गया। इस बार बीसलपुर बांध ने 90 दिन तक लगातार पानी की निकासी कर नया रिकॉर्ड बनाया है।
इससे पहले 2019 में 64 दिनों तक पानी छोड़ा गया था। इसके साथ ही, इस साल दो और नए रिकॉर्ड बने—लगातार दूसरे साल गेट खोले गए और 21 साल बाद पहली बार जुलाई महीने में गेट खोले गए।
22 साल में 8वीं बार खुले गेट
अजमेर संभाग की जीवनरेखा कहे जाने वाले बीसलपुर बांध की कुल भराव क्षमता 38.708 टीएमसी (315.50 आरएल मीटर) है। बांध का निर्माण पूरा होने के बाद वर्ष 2004 में इसमें पहली बार पानी रोका गया था, और उसी साल यह पूरी तरह भरकर छलक गया।
इसके बाद 2006, 2014, 2016, 2019, 2022, 2024 और 2025 में भी बांध अपनी अधिकतम क्षमता तक भर चुका है, जिसके चलते हर बार इसके गेट खोलने पड़े।
बांध का कितना पानी किसके लिए आरक्षित
बीसलपुर बांध परियोजना के एक्सईएन मनीष बंसल के अनुसार, टोंक जिले के लिए सिंचाई हेतु 8 टीएमसी पानी आरक्षित किया गया है, जबकि पेयजल आपूर्ति के लिए 16.2 टीएमसी पानी निर्धारित है।
इसके अलावा लगभग 8.15 टीएमसी पानी वाष्पीकरण और अन्य तकनीकी उपयोगों के लिए माना गया है।
रोजाना 1000 एमएलडी खपत होता पानी
बीसलपुर बांध से रोजाना टोंक, अजमेर और जयपुर जिलों को करीब साढ़े नौ सौ से एक हजार एमएलडी पानी की सप्लाई की जाती है। इस जल आपूर्ति से तीनों जिलों के लगभग दो हजार कस्बों और हजारों गांवों में एक करोड़ से अधिक लोगों को पेयजल उपलब्ध हो रहा है।
किस साल कितना बनास नदी में छोड़ा पानी
अब तक बीसलपुर बांध के गेट कुल आठ बार खोले जा चुके हैं। पहली बार 2004 में पानी रोके जाने के बाद बांध पूरा भर गया था, जिसके बाद 26.18 टीएमसी पानी की निकासी की गई थी।
इसके बाद 2006 में 43.25 टीएमसी, 2014 में 11.202 टीएमसी, 2016 में 134.238 टीएमसी, 2019 में 93.605 टीएमसी, 2022 में 13.246 टीएमसी, 2024 में 31.433 टीएमसी और इस साल 129.56 टीएमसी पानी बांध से बनास नदी में छोड़ा गया है।
बांध की भौगोलिक स्थिति
बीसलपुर बांध में कुल 18 गेट हैं, जिनका आकार 15 गुणा 14 मीटर है। यह बांध 576 मीटर लंबा है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 322.50 मीटर दर्ज की गई है।
बांध के निर्माण से अब तक कुल 68 गांव डूब क्षेत्र में आ चुके हैं, जिनमें 25 गांव पूरी तरह और 43 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। बांध का जलभराव क्षेत्र लगभग 25 किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें करीब 21 हजार 30 हेक्टेयर भूमि जलमग्न रहती है।
82 हजार हेक्टेयर में होती बांध की नहरों से सिंचाई
बीसलपुर बांध के साथ ही इसका नहरी तंत्र वर्ष 2004 में पूरा हुआ था। टोंक जिले में सिंचाई के लिए बांध से दो मुख्य नहरें निकली हैं — दांयीं और बायीं। दांयीं नहर की कुल लंबाई 51 किलोमीटर और बायीं नहर की लंबाई 18.65 किलोमीटर है।
इन दोनों नहरों के माध्यम से जिले की करीब 81,800 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा मिलती है। इसमें दांयीं नहर से 69,393 हेक्टेयर और बायीं नहर से 12,407 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होता है।
बांध से 2004, 2005, 2006, 2007, 2011 से 2017, 2019, 2022, 2023 और 2024 में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा चुका है। इस साल भी बांध पूरी तरह भर चुका है, ऐसे में किसानों को इस बार भी सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने की उम्मीद है।
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