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Wednesday, October 29, 2025

Pushkar Fair 2025: जिसने देखा वो रह गया दंग! 23 करोड़ का भैंसा ‘अनमोल’ और 15 करोड़ का घोड़ा ‘शहबाज़’ बना आकर्षण का केंद्र

NewsPushkar Fair 2025: जिसने देखा वो रह गया दंग! 23 करोड़ का भैंसा ‘अनमोल’ और 15 करोड़ का घोड़ा ‘शहबाज़’ बना आकर्षण का केंद्र

Pushkar Animal Fair: राजस्थान के पुष्कर में विश्व प्रसिद्ध पशु मेले का आयोजन किया जा रहा है। राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित यह भव्य आयोजन 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक चलेगा। यहां देश-विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक, पशुपालक और व्यापारी पहुंचते हैं। हर साल की तरह इस बार भी मेले में ऐसे-ऐसे पशु पहुंचे हैं, जिनकी कीमत सुनकर हर कोई हैरान है।

23 करोड़ का भैंसा ‘अनमोल’ बना सबसे बड़ा आकर्षण

इस बार मेले में 1500 किलो का भैंसा ‘अनमोल’ सबकी नज़रों का केंद्र बना हुआ है। इसकी कीमत 23 करोड़ रुपये बताई जा रही है। मालिक परमिंदर गिल का कहना है कि उन्होंने अनमोल को “राजाओं की तरह पाला” है उसे रोजाना दूध, देशी घी और सूखे मेवे खिलाए जाते हैं। वहीं उज्जैन से आया ‘राणा’ भैंसा भी चर्चा में है, जिसका वज़न करीब 600 किलो है और जो हर दिन 1500 रुपये की खुराक खाता है।

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15 करोड़ का घोड़ा ‘शाहबाज़’ छाया मेले में

चंडीगढ़ से आए गैरी गिल का मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा ‘शाहबाज़’ मेले का स्टार बन गया है। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। शाहबाज़ की कीमत 15 करोड़ रुपये रखी गई है, जबकि इसके प्रजनन शुल्क (stud fee) की कीमत 2 लाख रुपये है। अब तक 9 करोड़ की पेशकशें हो चुकी हैं, लेकिन मालिक ने इसे बेचने से इंकार कर दिया है।

पुष्कर मेले में Chandigarh से आए 15 करोड़ रुपये के घोड़े ने खींचा ध्यान | A  horse worth Rs 15 crore from Chandigarh attracted attention at the Pushkar  fair. | पुष्कर मेले

11 करोड़ का ‘बादल’ और हजारों पशुओं का जमावड़ा

मेले में एक और नाम सबका ध्यान खींच रहा है घोड़ा ‘बादल’, जिसकी कीमत करीब 11 करोड़ रुपये है। सिर्फ 5 साल की उम्र में यह अब तक 300 से ज्यादा बच्चों का बाप बन चुका है। इस बार मेले में कुल 4,300 पशुओं का पंजीकरण हुआ है। जिनमें 3,028 घोड़े और 1,306 ऊंट शामिल हैं। सुरक्षा के मद्देनज़र 2,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और हर जानवर की डिजिटल रिकॉर्डिंग और स्वास्थ्य जांच की विशेष व्यवस्था की गई है।

पर्यटकों का उत्साह और राजस्थान की शान

बारिश और ठंडक के बीच पुष्कर की रेत एक बार फिर रंग-बिरंगे पशु मेले में तब्दील हो गई है। ऊंटों की सजे धजे कतारें, घोड़ों की टापों की गूंज और पारंपरिक लोक संगीत के बीच यह मेला न केवल राजस्थान की संस्कृति, बल्कि ग्रामीण भारत की जीवंत पहचान पेश कर रहा है।

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