अब भीलवाड़ा जिले के किसान पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक और लाभदायक तरीकों की ओर बढ़ रहे हैं। तकनीक आधारित खेती के साथ वे अपनी आय के नए स्रोत तलाश रहे हैं। खासतौर पर मधुमक्खी पालन किसानों के लिए अतिरिक्त कमाई का बेहतर जरिया बन रहा है। जिले में कई किसान फसलों के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को अपनाकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। कृषि विभाग भी इस दिशा में सक्रिय है और किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण व प्रोत्साहन दे रहा है।
किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें वैकल्पिक आजीविका के अवसर देने के लिए राजस्थान सरकार ने मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने की पहल की है। इस योजना के तहत मधुमक्खी पालक किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान पर बी-बॉक्स, बी-कॉलोनी, बी-कीपिंग किट और बी-बॉक्स माइग्रेशन जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। सरकार यह अनुदान कृषक कल्याण कोष से उपलब्ध कराएगी, ताकि अधिक से अधिक किसान इस लाभकारी व्यवसाय से जुड़ सकें।
किसानों को लाभ के लिए करना होगा ऑनलाइन आवेदन
उद्यान विभाग के शाखा निदेशक डॉ. शंकर सिंह राठौड़ ने बताया कि जो किसान मधुमक्खी पालन करना चाहते हैं, वे राज किसान साथी पोर्टल के माध्यम से ई-मित्र केंद्र पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए किसान के पास कम से कम 0.40 हेक्टेयर भूमि होना जरूरी है। इसके साथ छह माह से अधिक पुरानी नहीं, नई जमाबंदी की प्रति, उद्यान विभाग से पंजीकृत फर्म का कोटेशन और आवश्यक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र संलग्न करना होगा। उन्होंने बताया कि अनुदान राशि 60:40 के अनुपात में दो चरणों में, दो वर्षों में दी जाएगी। इस योजना से किसान अपनी आय में अच्छी बढ़ोतरी कर सकते हैं।
किसानों को दो किश्तों में दी जाएगी राशि
इस योजना के तहत किसानों को पहले वर्ष कुल अनुदान राशि का 60 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा, जबकि शेष 40 प्रतिशत राशि दूसरे वर्ष मधुमक्खियों की जीवितता के सत्यापन के बाद जारी की जाएगी। योजना में लघु और सीमांत किसान, अनुसूचित जाति व जनजाति के किसान, महिला कृषक और मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रत्येक लाभार्थी को अधिकतम 50 बी-बॉक्स और 50 बी-कॉलोनियों तक का अनुदान मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, मधुमक्खी पालन से किसानों की आय में 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की संभावना है। साथ ही, यह टिकाऊ व्यवसाय फसलों के परागण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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