बीकानेर जिले की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज आज भारतीय सेना की ताकत का साक्षी बनी। यहां आयोजित ‘इंटीग्रेटेड फायरिंग एक्सरसाइज’ में सेना ने रेगिस्तान की तपती रेत पर अपनी युद्ध क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया। अभ्यास के दौरान सेना ने डिफेंसिव पोजीशन से काल्पनिक दुश्मन पर जबरदस्त पलटवार करते हुए उसे पूरी तरह परास्त करने का अभ्यास किया। इस मौके पर स्वदेशी टैंकों, मिसाइलों, ड्रोनों, फाइटिंग हेलीकॉप्टरों और अत्याधुनिक हथियारों की ताकत दिखी। दक्षिण पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मंजिंदर सिंह की मौजूदगी में आयोजित इस अभ्यास ने आधुनिक युद्ध की तैयारियों की एक जीवंत झलक पेश की।
सेना के इस अभ्यास में विभिन्न शाखाओं ने बेहतरीन तालमेल और संयुक्त शक्ति का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। बीएमपी-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल ने रेगिस्तान की रेत पर गरजते हुए आगे बढ़कर दुश्मन की काल्पनिक चौकियों को ध्वस्त किया। वहीं, टी-72 टैंकों ने लंबी दूरी से सटीक निशाना साधते हुए जबरदस्त फायरिंग की। 130 मिमी मीडियम गन की गोलाबारी ने युद्ध क्षेत्र को धधका दिया। इस दौरान वेपन सिस्टम इंटीग्रेशन (WSI) तकनीक के जरिए सभी हथियारों को एकीकृत कमांड से जोड़ा गया, जिससे फायरिंग में अभूतपूर्व सटीकता और समन्वय देखने को मिला।
महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सेना ने दिखाया दम
आकाश में ड्रोन तैनात रहे, मिसाइलों ने सटीक निशाना साधा और फाइटिंग हेलीकॉप्टरों ने हवा से दहाड़ते हुए हमला बोला — ये सब इतनी तालमेल से हुआ कि वाकई की लड़ाई का अहसास होने लगा। हर धमाका और गूंज यही संदेश दे रही थी कि हमारी सीमाएँ अब सुरक्षित हाथों में हैं। यह प्रदर्शन केवल फायरिंग नहीं था, बल्कि आधुनिक युद्धक रणनीति, तकनीकी एकीकरण और अलग-अलग यूनिटों — आर्मर्ड, आर्टिलरी, इन्फैंट्री, एविएशन और ड्रोन — के बीच सटीक समन्वय की जीवंत पड़ताल थी। अभ्यास ने साफ कर दिया कि साझा कमांड के तहत ये बल एक साथ जुटकर दुश्मन को चारों ओर से घेरकर निर्णायक जवाब देने में सक्षम हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल ने सैनिकों के पेशेवर प्रदर्शन को सराहा
लेफ्टिनेंट जनरल मंजिंदर सिंह ने अभ्यास के दौरान जवानों के जोश, अनुशासन और उत्कृष्ट प्रशिक्षण की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की असली ताकत उसके हथियारों में नहीं, बल्कि उसके जज्बे, टीम वर्क और देशभक्ति में बसती है। महाजन की तपती रेत में जिस जोश और अनुशासन की झलक दिखी, वही हमारी सीमाओं की सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत है। यह अभ्यास ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सैन्य सोच का सशक्त उदाहरण बना, जहां इस्तेमाल किए गए लगभग सभी हथियार स्वदेशी तकनीक से बने थे। इससे न सिर्फ सेना की मारक क्षमता बढ़ी, बल्कि भारत की रक्षा निर्माण और निर्यात क्षमता को भी नई दिशा मिली। महाजन की रेत से उठा धुआं और गूंजता शौर्य पड़ोसी देशों के लिए यह साफ संदेश था — भारत हर चुनौती का डटकर और सटीक जवाब देने में सक्षम है।
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