Rajasthan Panchayat Election Update: राजस्थान में भाजपा सरकार अब अपनी ही पार्टी के पुराने फैसले में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। वर्ष 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के कार्यकाल में राजस्थान पंचायती राज अधिनियम के तहत यह प्रावधान लागू किया गया था कि दो से अधिक संतान वाले व्यक्ति पंचायती राज और नगर निकाय चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। अब करीब तीन दशक बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार इस नियम में संशोधन पर विचार कर रही है।
यूडीएच मंत्री ने दिए बदलाव के संकेत
राज्य के कई जनप्रतिनिधि लम्बे समय से इस नियम में संशोधन की मांग कर रहे हैं। विधायकों और पार्टी नेताओं ने सरकार को ज्ञापन देकर कहा है कि वर्ष 1994 के इस कानून की आज के सामाजिक परिवेश के अनुसार समीक्षा की जानी चाहिए। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से चर्चा की है और सरकार विधिक राय ले रही है। पंचायती राज एवं स्वायत्त शासन विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके आधार पर आगे का निर्णय लिया जाएगा।
नियम के चलते पद खोने का खतरा
मौजूदा प्रावधान के अनुसार, यदि कोई जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद तीसरी संतान का पिता/माता बनता है, तो उसका पद भी समाप्त कर दिया जाता है। पहले यह नियम सरकारी कर्मचारियों पर भी लागू था, लेकिन समय के साथ उसे समाप्त कर दिया गया। जनप्रतिनिधियों का तर्क है कि जब कर्मचारियों के लिए प्रावधान हटाया जा चुका है, तो जनप्रतिनिधियों पर भी यह बाध्यता नहीं होनी चाहिए।
फर्जीवाड़े के मामले भी आए सामने
इस नियम के चलते कई क्षेत्रों में फर्जीवाड़े के मामले भी सामने आए, जहां कुछ प्रत्याशियों ने अपनी संतान की संख्या छिपाई या बच्चों को परिजनों के नाम करवाकर चुनाव लड़े। ऐसे मामलों ने नियम की पारदर्शिता और व्यवहारिकता पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके चलते संशोधन की मांग और तेज हुई।
आगे क्या?
सरकार विधिक राय और विभागीय रिपोर्ट मिलने के बाद अंतिम निर्णय लेगी। यदि संशोधन होता है, तो स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज चुनाव के पात्रता मानकों में बड़ा बदलाव देखा जा सकता है।
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